भगवान श्री खाटू श्याम जी को हारे का सहारा खा जाते है। ऐसा माना जाता है की अगर कोई व्यक्ति जीवन में परेशानियों से घिर चूका हो और उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा तो उसे श्री खाटू श्याम जी की शरण में जाना चाहिए। श्री खाटू श्याम जी भगवान कृष्ण के अवतार माने जाते हैं।
खाटू श्याम जी का प्रमुख मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। लाखों भक्त हर साल उनके दर्शन करने आते हैं। उनकी स्तुति में कई भजन, आरती और स्तोत्र लिखे गए हैं। इन स्तुतियां में भक्त अपने आराध्य देव के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति भाव व्यक्त करते हैं। तो आइये इस लेख में हम श्री खाटू श्याम स्तुति के बारे में जानते है।
श्री खाटू श्याम स्तुति
हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियो चित्त लगाये
दस आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज
धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान
अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ||१||
श्याम श्याम तो में रटूं श्याम हैं जीवन प्राण
श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम
खाटू नगर के बीच में बण्यो आपको धाम
फाल्गुन शुक्ल मेला भरे जय जय बाबा श्याम ||२||
फाल्गुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भरी होए
बाबा के दरबार से खाली जाये न कोए
उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्री राम
लज्जा सब की रखियो खाटू के बाबा श्याम ||३||
पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर
सब भक्तो की विनती दर्शन देवो हजूर
आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान
श्याम भक्त पावे सदा श्याम कृपा से मान ||४||
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम
खाटू वाले बाबा जय श्री श्याम
लीलो घोड़ो लाल लगाम
जिस पर बैठ्यो बाबो श्याम ||५||
॥ॐ श्री श्याम देवाय नमः॥
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श्री श्याम स्तुति के महत्व
श्री श्याम स्तुति का पाठ भक्तों को श्याम बाबा के करीब लता है। स्तुति करते समय भक्त एकाग्रचित होकर श्याम बाबा का ध्यान करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।
इस स्तुति का पाठ करने से भक्त को मन की शांति प्राप्त होती है और तनाव दूर होता है। नियमित रूप से स्तुति करने से भक्त का आत्मविश्वास बढ़ता है और वह सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इसके साथ ही श्री खाटू श्याम जी की कृपा से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
श्री खाटू श्याम जी की कथा
श्री खाटू श्याम जी की कथा अद्भुत और भक्तिमय है जो भगवान कृष्ण के एक वीर योद्धा बर्बरीक के जीवन से जुड़ी है।महाभारत युद्ध के समय जब बर्बरीक नामक एक शक्तिशाली योद्धा जिसे वरदान प्राप्त किया था कि वह किसी भी युद्ध में तीन तीरों से पूरी सेना का संहार कर सकता है।
यूद्ध शुरू होने से पहले बर्बरीक ने भगवान कृष्ण से कहा कि वह जिस पक्ष की हार निश्चित होगी वह उसी पक्ष की तरफ से लड़ेंगे। इस पर भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि युद्ध में भाग लेने के बजाय वह अपना शीश दान कर दें।
बर्बरीक ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना शीश काटकर भगवान कृष्ण को अर्पित कर दिया। भगवान कृष्ण ने इस बलिदान से प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान दिया कि वह कलयुग में खाटू श्याम के नाम से पूजे जाएंगे और उनके भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगे।
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