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नृसिंह भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक है जो की सिंह और मनुष्य के रूप में है। नृसिंह देव शक्ति, साहस और क्रोध के प्रतीक हैं। नृसिंह देव की पूजा शक्ति और साहस प्राप्त करने के लिए की जाती है।

नृसिंह भगवान की कृपा से भक्त को संकटों से मुक्ति मिलती है। नृसिंह जयंती पर मुख्य रूप से नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है और उनके मंदिर भारत के कई हिस्सों में स्थित हैं जहा श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। आज के इस लेख में हम श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्रम् के बारे में और इस स्तोत्र के महत्त्व के बारे में जानेंगे।

श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्रम् (Mantra Raja Pada Stotram)

—।। पार्वत्युवाच ।।—

मन्त्राणां परमं मन्त्रं गुह्यानां गुह्यमेव च ।
ब्रूहि मे नारसिंहस्य तत्त्वं मन्त्रस्य दुर्लभम् ॥

—।। शङ्कर उवाच ।।—

वृत्तोत्फुल्लविशालाक्षं विपक्षक्षयदीक्षितम् ।
निनादत्रस्तविश्वाण्डं विष्णुमुग्रं नमाम्यहम् ॥_१

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सर्वैरवध्यतां प्राप्तं सबलौघं दितेः सुतम् ।
नखाग्रैः शकलीचक्रे यस्तं वीरं नमाम्यहम् ॥_२

पदावष्टब्धपातालं मूर्धाऽऽविष्टत्रिविष्टपम् ।
भुजप्रविष्टाष्टदिशं महाविष्णुं नमाम्यहम् ॥_३

ज्योतींष्यर्केन्दुनक्षत्रज्वलनादीन्यनुक्रमात् ।
ज्वलन्ति तेजसा यस्य तं ज्वलन्तं नमाम्यहम् ॥_४

सर्वेन्द्रियैरपि विना सर्वं सर्वत्र सर्वदा ।
यो जानाति नमाम्याद्यं तमहं सर्वतोमुखम् ॥_५

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नरवत् सिंहवच्चैव यस्य रूपं महात्मनः ।
महासटं महादंष्ट्रं तं नृसिंहं नमाम्यहम् ॥_६

यन्नामस्मरणाद्भीताः भूतवेतालराक्षसाः ।
रोगाद्याश्च प्रणश्यन्ति भीषणं तं नमाम्यहम् ॥_७

सर्वेऽपि यं समाश्रित्य सकलं भद्रमश्नुते ।
श्रिया च भद्रया जुष्टो यस्तं भद्रं नमाम्यहम् ॥_८

साक्षात् स्वकाले सम्प्राप्तं मृत्युं शत्रुगणान्वितम् ।
भक्तानां नाशयेद्यस्तु मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥_९

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नमस्कारात्मकं यस्मै विधायात्मनिवेदनम् ।
त्यक्तदुःखोऽखिलान् कामानश्नन्तं तं नमाम्यहम् ॥_१०

दासभूताः स्वतः सर्वे ह्यात्मानः परमात्मनः ।
अतोऽहमपि ते दासः इति मत्वा नमाम्यहम् ॥_११

शङ्करेणादरात् प्रोक्तं पदानां तत्त्वमुत्तमम् ।
त्रिसन्ध्यं यः पठेत्तस्य श्रीविद्याऽऽयुश्च वर्धते ॥_१२

इति श्रीशङ्करकृत श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्रम् ।

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अन्य स्तोत्र –

श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्र के महत्त्व और लाभ

श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्र भगवान नृसिंह को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र में भगवान नृसिंह का गुणगान है जो भक्तों को भय, नकारात्मक शक्तियों और कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसे विशेष रूप से विपत्तियों, असुरक्षा, और शत्रुओं के भय से रक्षा पाने के लिए भक्तो द्वारा जपा जाता है।

श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्रम् का नियमित जाप करने से भक्तों को भगवान नृसिंह का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके जाप से भक्त के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आना शुरू हो जाते है इसके जाप से भक्त में साहस और शक्ति की वृद्धि होती है, शत्रुओं का नाश होता है, और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

भगवन नृसिंह अवतार की कथा

भगवान नरसिंह भगवान विष्णु जी के चौथा अवतार है। राक्षस हिरण्यकश्यप जब खुद को ब्रह्मांड का स्वामी मानता था और सभी को भगवान की पूजा करने से माना कर दिया था। उस समय भगवान विष्णु जी ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसिंह अवतार लिया।

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हिरण्यकश्यप को वरदान था की उसे दिन या रात, घर के अंदर या बाहर, न तो मनुष्य और न ही पशु मार सकते है। इसके लिए भगवान नरसिंह ने उसे अपनी जांघ पर रखकर अपने नाखूनों से फाड़ दिया था। और इस तरह उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया और धर्म की रक्षा की।

Mantra Raja Pada Stotram PDF

अगर आप भगवान नरसिंह में आस्था रखते हो और श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्रम् का पाठ करना चाहते हो तोह हमने आपके लिए श्री नृसिंह मन्त्रराजपद स्तोत्र की PDF को तैयार किया है। आप इस PDF को हमारे द्वारा ले सकते है और प्रतिदिन स्तोत्र का जाप करके अपने जीवन में नरसिंह भगवान का आशीर्वाद पा सकते है।

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