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भगवान श्री कृष्ण की प्रिय राधा रानी के लिए लिखा गया यह राधा कवच मंत्र (Radha Kavach) एक शक्तिशाली कवच मंत्र हैं, जिसके नियमित जाप से मन को शांति मिलती हैं, प्रेम भाव बढ़ता हैं और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती हैं।

राधा कवच मंत्र के पाठ से भक्तो को राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। जिससे व्यक्ति को उनके जीवन में विजय और आनंद की प्राप्ति होती हैं।

राधा कवच (Radha Kavach in Hindi)

पार्वती उवाच

कैलासवासिन्! भगवन्! भक्तानुग्रहकारक!
राधिकाकवचं पुण्यं कथयस्व मम प्रभो ॥१॥

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यद्यस्ति करुणा नाथ! त्राहि मां दुःखतो भयात्।
त्वमेव शरणं नाथ! शूलपाणे! पिनाकधृक ॥२॥

शिव उवाच

शृणुष्व गिरिजे तुभ्यं कवचं पूर्वसूचितम्।
सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वहत्याहरं परम् ॥३॥

हरिभक्तिप्रदं साक्षात् भुक्तिमुक्तिप्रसाधनम्।
त्रैलोक्याकर्षणं देवि हरिसान्निद्ध्यकारकम् ॥४॥

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सर्वत्र जयदं देवि, सर्वशत्रुभयापहं।
सर्वेषाञ्चैव भूतानां मनोवृत्तिहरं परम् ॥५॥

चतुर्धा मुक्तिजनकं सदानन्दकरं परम्।
राजसूयाश्वमेधानां यज्ञानां फलदायकम् ॥६॥

इदं कवचमज्ञात्वा राधामन्त्रञ्च यो जपेत्।
स नाप्नोति फलं तस्य विघ्नास्तस्य पदे पदे ॥७॥

ऋषिरस्य महादेवोऽनुष्टुप् छन्दश्च कीर्तितम्।
राधास्य देवता प्रोक्ता रां बीजं कीलकं स्मृतम् ॥८॥

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धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः।
श्रीराधा मे शिरः पातु ललाटं राधिका तथा ॥९॥

श्रीमती नेत्रयुगलं कर्णौ गोपेन्द्रनन्दिनी।
हरिप्रिया नासिकाञ्च भ्रूयुगं शशिशोभना ॥१०॥

ओष्ठं पातु कृपादेवी अधरं गोपिका तदा।
वृषभानुसुता दन्तांश्चिबुकं गोपनन्दिनी ॥११॥

चन्द्रावली पातु गण्डं जिह्वां कृष्णप्रिया तथा।
कण्ठं पातु हरिप्राणा हृदयं विजया तथा ॥१२॥

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बाहू द्वौ चन्द्रवदना उदरं सुबलस्वसा।
कोटियोगान्विता पातु पादौ सौभद्रिका तथा ॥१३॥

जङ्घे चन्द्रमुखी पातु गुल्फौ गोपालवल्लभा।
नखान् विधुमुखी देवी गोपी पादतलं तथा ॥१४॥

शुभप्रदा पातु पृष्ठं कक्षौ श्रीकान्तवल्लभा।
जानुदेशं जया पातु हरिणी पातु सर्वतः ॥१५॥

वाक्यं वाणी सदा पातु धनागारं धनेश्वरी।
पूर्वां दिशं कृष्णरता कृष्णप्राणा च पश्चिमाम् ॥१६॥

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उत्तरां हरिता पातु दक्षिणां वृषभानुजा।
चन्द्रावली नैशमेव दिवा क्ष्वेडितमेखला ॥१७॥

सौभाग्यदा मध्यदिने सायाह्ने कामरूपिणी।
रौद्री प्रातः पातु मां हि गोपिनी रजनीक्षये ॥१८॥

हेतुदा संगवे पातु केतुमालाऽभिवार्धके।
शेषाऽपराह्नसमये शमिता सर्वसन्धिषु ॥१९॥

योगिनी भोगसमये रतौ रतिप्रदा सदा।
कामेशी कौतुके नित्यं योगे रत्नावली मम ॥२०॥

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सर्वदा सर्वकार्येषु राधिका कृष्णमानसा।
इत्येतत्कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ॥२१॥

सर्वरक्षाकरं नाम महारक्षाकरं परम्।
प्रातर्मध्याह्नसमये सायाह्ने प्रपठेद्यदि ॥२२॥

सर्वार्थसिद्धिस्तस्य स्याद्यद्यन्मनसि वर्तते।
राजद्वारे सभायां च संग्रामे शत्रुसङ्कटे ॥२३॥

प्राणार्थनाशसमये यः पठेत्प्रयतो नरः।
तस्य सिद्धिर्भवेत् देवि न भयं विद्यते क्वचित् ॥२४॥

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आराधिता राधिका च येन नित्यं न संशयः।
गङ्गास्नानाद्धरेर्नामश्रवणाद्यत्फलं लभेत् ॥२५॥

तत्फलं तस्य भवति यः पठेत्प्रयतः शुचिः।
हरिद्रारोचना चन्द्रमण्डलं हरिचन्दनम् ॥२६॥

कृत्वा लिखित्वा भूर्जे च धारयेन्मस्तके भुजे।
कण्ठे वा देवदेवेशि स हरिर्नात्र संशयः ॥२७॥

कवचस्य प्रसादेन ब्रह्मा सृष्टिं स्थितिं हरिः।
संहारं चाहं नियतं करोमि कुरुते तथा ॥२८॥

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वैष्णवाय विशुद्धाय विरागगुणशालिने।
दद्याकवचमव्यग्रमन्यथा नाशमाप्नुयात् ॥२९॥

राधा कवच का पाठ कब करें

  • अगर भक्त हर रोज राधा कवच का जाप कर सकते हैं, कवच का जाप सुबह ओर शाम को किया जाना अच्छा माना गया हैं।
  • कई विशेष अवसर जैसे राधा अष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी या कोई ऐसा दिन जिस दिन राधा रानी को याद किया जाता हैं।
  • अगर आपकी कोई मनोकामनाएं हैं और आप राधा रानी के भक्त हैं तो आप प्रति दिन इसका जाप कर सकते हैं।

Radha Kavach PDF

अगर आप हर रोज राधा कवच का जाप करना चाहते हैं तो आपके लिए pdf फाइल मौजूद हैं। इस pdf की सहायता से आप बिना किसी परेशानी के कवच मंत्र का जाप कर सकते हैं और राधा रानी का जाप कर सकते हैं। इस pdf में आपको हर श्लोक और मंत्र के साथ हिंदी अनुवाद भी देखने को मिलेगा ताकि आप बिना किसी परेशानी के हर मंत्र और श्लोक का अर्थ समझ पाए।

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