बाबा जाहरवीर गोगाजी राजस्थान के लोकप्रिय और पूजनीय देवताओं में से एक हैं जिन्हे सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस लेख में हम जाहरवीर चालीसा, चालीसा के महत्त्व तथा चालीसा पढ़ने के लाभ के बारे में जानेंगे।
गोगाजी एक वीर योद्धा, लोक देवता और धर्म रक्षक माने जाते हैं। गोगाजी को छह सिद्धों में से एक भी माना जाता है और उन्हें विशेष रूप से जाट समुदाय के भक्तो द्वारा पूजा जाता है। हिन्दू समुदाय के अलावा उन्हें मुस्लिम समुदाय के लोगो द्वारा भी पूजा जाता है।
जाहरवीर चालीसा (Jaharveer Goga Peer Chalisa)
—॥ दोहा ॥—
सुवन केहरी जेवर सुत
महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला
विपत निवारण वीर॥___१
जय जय जय चौहान
वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर
आप बने सुर भूप॥___२
—॥ चौपाई ॥—
जय जय जय जाहर रणधीरा , पर दुख भंजन बागड़ वीरा । ।
गुरु गोरख का है वरदानी , जाहरवीर जोधा लासानी ।।१।।
गौरवरण मुख महा विशाला , माथे मुकट घुंघराले बाला ।
कांधे धनुष गले तुलसी माला , कमर कृपान रक्षा को डाला ।।२।।
जन्में गूगावीर जग जाना , ईसवी सन हजार दरमियाना ।
श्री जाहरवीर चालीसा बल सागर गुण निधि कुमारा , दुःखी जनों का बना सहारा ।।३।।
बागड़ पति बाछला नन्दन , जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन ।
जेवर राव का पुत्र कहाये , माता पिता के नाम बढ़ाये ।।४।।
पूरन हुई कामना सारी , जिसने विनती करी तुम्हारी । ।
सन्त उबारे असुर संहारे , भक्त जनों के काज संवारे ।।५।।
गूगावीर की अजब कहानी , जिसको ब्याही श्रीयल रानी ।
बाछल रानी जेवर राना , महादुःखी थे बिन सन्ताना ।।६।।
भंगिन ने जब बोली मारी , जीवन हो गया उनको भारी ।
सूखा बाग पड़ा नौलखा , देख – देख जग का मन दुक्खा ।।७।।
कुछ दिन पीछे साधू आये , चेला चेली संग में लाये ।
जेवर राव ने कुआं बनवाया , उद्घाटन जब करना चाहा ।।८।।
खारी नीर कुएं से निकला , राजा रानी का मन पिघला ।
रानी तब ज्योतिषी बुलवाया , कौन पाप मैं पुत्र न पाया ।।९।।
कोई उपाय हमको बतलाओ , उन कहा गोरख गुरु मनाओ ।
गुरु गोरख जो खुश हो जाई , सन्तान पाना मुश्किल नाई ।।१०।।
बाछल रानी गोरख गुन गावे , नेम धर्म को न बिसरावे ।
करे तपस्या दिन और राती , एक वक्त खाय रूखी चपाती ।।११।।
कार्तिक माघ में करे स्नाना , व्रत इकादशी नहीं भुलाना । ।
पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े , दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े ।।१२।।
चेलों के संग गोरख आये , नौलखे में तम्बू तनवाये । ।
मीठा नीर कुएँ का कीना , सूखा बाग हरा कर दीना ।।१३।।
मेवा फल सब साधु खाए , अपने गुरु के गुण को गाये ।
औघड़ भिक्षा मांगने आए , बाछल रानी ने दुःख सुनाये ।।१४।।
औघड़ जान लियो मन माहीं , तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं । ।
रानी होवे मनसा पूरी , गुरु शरण है बहुत जरूरी ।।१५।।
बारह बरस जपा गुरु नामा , तब गोरख ने मन में जाना ।
पुत्र देने की हामी भर ली , पूरनमासी निश्चय कर ली ।।१६।।
काछल कपटिने गजब गुजारा , धोखा गुरु संग किया करारा ।
बाछल बनकर पुत्र पाया , बहन का दरद जरा नहीं आया ।।१७।।
औघड़ गुरु को भेद बताया , तब बाछल ने गूगल पाया ।
कर परसादी दिया गूगल दाना , अब तुम पुत्र जनो मरदाना ।।१८।।
लीली घोड़ी और पण्डतानी , लूना दासी ने भी जानी ।
रानी गूगल बाट के खाई , सब बांझों को मिली दवाई ।।१९।।
नरसिंह पंडित लीला घोड़ा , भज्जु कुतवाल जना रणधीरा । ।
रूप विकट धर सब ही डरावे , जाहरवीर के मन को भावे ।।२०।।
भादों कृष्ण जब नौमी आई , जेवर राव के बजी बधाई ।
विवाह हुआ गूगा भये राना , संगलदीप में बने मेहमाना ।।२१।।
रानी श्रीयल संग ले फेरे , जाहर राज बागड़ का करे ।
अरजन सरजन जने , गूगा वीर से रहे वे तने ।।२२।।
दिल्ली गए लड़ने के काजा , अनंग पाल चढे महाराजा ।
उसने घेरी बागड़ सारी , जाहरवीर न हिम्मत हारी ।।२३।।
अरजन सरजन जान से मारे , अनंगपाल ने शस्त्र डारे ।
चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया , सिंह भवन माड़ी बनवाया ।।२४।।
उसी में गूगावीर समाये , गोरख टीला धूनी रमाये ।
पुण्यवान सेवक वहाँ आये , तन मन धन से सेवा लाए ।।२५।।
मनसा पूरी उनकी होई , गूगावीर को सुमरे जोई ।
चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा , सारे कष्ट हरे जगदीसा ।।२६।।
दूध पूत उन्हें दे विधाता , कृपा करे गुरु गोरखनाथा ।।२७।।
जाहरवीर चालीसा का महत्व
सच्चे दिल से जाहरवीर चालीसा का पाठ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। जाहरवीर चालीसा के पाठ से भक्त को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जब किसी व्यक्ति को सांप के द्वारा कांटा जाता है तब उसकी रक्षा करने के लिए बाबा जाहरवीर गोगाजी की स्तुति करते है।
अन्य चालीसा –
जाहरवीर गोगाजी की कहानी
बाबा जाहरवीर गोगाजी की कई कहानियां प्रचलित है जिसमे उन्हें एक वीर योद्धा के रूप में जाना जाता है जिन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। बाबा जाहरवीर गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे और उन्हें नागों से विशेष लगाव था।
ऐसा कहा जाता है कि बाबा जाहरवीर की साधना से प्रसन्न होकर नागराज ने उन्हें यह वरदान दिया कि वे सर्पदंश से लोगों की रक्षा करेंगे। इसी कारण लोग जाहरवीर गोगाजी को सांपों से जुड़ी हर समस्या में याद करते हैं।
बाबा गोगाजी का मुख्य मंदिर राजस्थान के गंगानगर जिले के में स्थित है। भक्त गोगाजी की पूजा मुख्य रूप से भाद्रपद महीने में करते है इस महीने में गोगाजी की जयंती मनाई जाती है और मेले लगते हैं। इन मेलों में कई भक्त दूर-दूर से आकर गोगाजी के मंदिरों में पूजा करते हैं।
Jaharveer Goga Peer Chalisa PDF
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