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क्या आप भी अध्यात्म में रुचि रखते हैं तो यहां पर आपको ललिता माता चालीसा मिलेगी। ललिता माता का मंदिर 108 शक्ति पीठों में आता है जहां पर हर दिन कई श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

ललिता माता को त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है और माता का मंदिर नैमिषारण्य में स्थित है। देवी भागवत में भी उनके बारे में एक प्रमुख श्लोक है “विशालाक्षी नैमिषेलिंग धारिणी, प्रयागे ललिता देवी कामुका गंध मादने”। तो आइये अब बिना देरी किए ललिता माता की चालीसा को देखते हैं।

ललिता माता चालीसा (Maa Lalita Chalisa)

यहां पर संपूर्ण मां ललिता चालीसा है जिसका भक्ति भाव से पाठ करने पर सभी दुखों का निवारण हो जाता है। आप चालीसा का पाठ प्रतिदिन प्रातः काल व संध्या काल में कर सकते हैं।

चौपाई

जयति-जयति जय ललिते माता। तव गुण महिमा है विख्याता।।
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।। — १

तू कल्याणी कष्ट निवारिणी। तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।।
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी। भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।। — २

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा। चक्र स्वामिनी देह अनूपा।।
हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी। नाना कष्ट विपति दल हारिणी।। — ३

दश विद्या है रूप तुम्हारा। श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा।।
धूमा, बगला, भैरवी, तारा। भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।। — ४

षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी। ललितेशक्ति तुम्हारी संगी।।
ललिते तुम हो ज्योतित भाला। भक्तजनों का काम संभाला।। — ५

भारी संकट जब-जब आए। उनसे तुमने भक्त बचाए।।
जिसने कृपा तुम्हारी पाई। उसकी सब विधि से बन आई।। — ६

संकट दूर करो मां भारी। भक्तजनों को आस तुम्हारी।।
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी। जय-जय-जय शिव की महारानी।। — ७

योग सिद्धि पावें सब योगी। भोगें भोग महा सुख भोगी।।
कृपा तुम्हारी पाके माता। जीवन सुखमय है बन जाता।। — ८

दुखियों को तुमने अपनाया। महा मूढ़ जो शरण न आया।।
तुमने जिसकी ओर निहारा। मिली उसे संपत्ति, सुख सारा।। — ९

आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी। महाशक्ति जय-जय, भय हारी।।
कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा। लीला ललिते करें अनूपा।। — १०

महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे। त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।।
महा महा-नन्दे कल्याणी। मूकों को देती हो वाणी।। — ११

इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी। होता तब सेवा अनुरागी।।
जो ललिते तेरा गुण गावे। उसे न कोई कष्ट सतावे।। — १२

सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी। तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी।।
आया मां जो शरण तुम्हारी। विपदा हरी उसी की सारी।। — १३

नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी। सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।।
महिमा तव सब जग विख्याता। तुम हो दयामयी जग माता।। — १४

सब सौभाग्य दायिनी ललिता। तुम हो सुखदा करुणा कलिता।।
आनंद, सुख, संपत्ति देती हो। कष्ट भयानक हर लेती हो।। — १५

मन से जो जन तुमको ध्यावे। वह तुरंत मन वांछित पावे।।
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली। तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।। — १६

मूलाधार, निवासिनी जय-जय। सहस्रार गामिनी मां जय-जय।।
छ: चक्रों को भेदने वाली। करती हो सबकी रखवाली।। — १७

योगी, भोगी, क्रोधी, कामी। सब हैं सेवक सब अनुगामी।।
सबको पार लगाती हो मां। सब पर दया दिखाती हो मां।। — १८

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी। भण्डासुर की हृदय विदारिणी।।
सर्व विपति हर, सर्वाधारे। तुमने कुटिल कुपंथी तारे।। — १९

चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी। कृपा करो ललिते अधनाशिनी।।
भक्तजनों को दरस दिखाओ। संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।। — २०

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा। होवे सुख आनंद अधीसा।।
जिस पर कोई संकट आवे। पाठ करे संकट मिट जावे।। — २१

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा। पूर्ण मनोरथ होवे सारा।।
पुत्रहीन संतति सुख पावे। निर्धन धनी बने गुण गावे।। — २२

इस विधि पाठ करे जो कोई। दु:ख बंधन छूटे सुख होई।।
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें। पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।। — २३

सबसे लघु उपाय यह जानो। सिद्ध होय मन में जो ठानो।।
ललिता करे हृदय में बासा। सिद्धि देत ललिता चालीसा।। — २४

दोहा

ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम।।

ललिता माता चालीसा के लाभ

ललिता चालीसा का प्रतिदिन पाठ करना काफी लाभकारी है यह सौभाग्य को बढ़ाता है। इसके साथ ही नियमित पाठ से बुद्धि, विवेक, धन, बल, और सिद्धि की प्राप्ति होती है। भक्त को हर सुख की प्राप्ति होती है और ललिता माता की कृपा से उसकी सारी परेशानियां दूर हो जाती है। भक्त के सभी काम बनने लग जाते हैं और वह सांसारिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति करता है।

माता ललिता चालीसा की PDF

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इस पेज पर आने के लिए आपका धन्यवाद मां ललिता कि आप पर हमेशा कृपा बनी रहे।

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