माता दुर्गा को शक्ति और साहस की देवी के रूप में पूजा जाता हैं। माता के कुल 9 रूप हैं जिन्हे नवदुर्गा कहा जाता हैं। माता के 9 अलग-अलग अवतार हैं जिनके 9 अलग-अलग नाम भी हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। माता की स्तुति में में दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) को लिखा गया हैं।
श्री दुर्गा चालीसा
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नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।1
निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी॥2
शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला।3
रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे॥4
चौपाई:
तुम संसार शक्ति लै कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना।1
अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥2
प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिव शंकर प्यारी।3
शिव योगी तुम्हरे गुण गावे, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावे॥4
रूप सरस्वती को तुम धारा, देश विद्या का तुम ही द्वारा।5
धरि रूप लक्ष्मी करि पालन, करि धर्मरक्षाकर जग पालन॥6
जब जब दानव कृत अति भारी, तब तब धरा प्रभु अवधिहारी।7
अमरपुरी अरु असुर संहारे, वही वीर वीरवर धारे॥8
अद्भुत रूप प्रकट कर तारिणी, संकटनाशिनी जग पावन करणी।9
ध्यान धरत जो नर मन लाई, वृषभानन्द करहि सुख पाई॥10
तुम हो कष्टों की हरनी माता, सेवा करण में नहीं कोई जाता।11
जो भी ध्यान धरै मन लावे, ताहि प्रत्यक्ष दरश सुख पावे॥12
तुम सम शक्ति न कोई है माता, जो जगदम्बा भगवती कहलाती।13
कौन असुर के कारन आवन, भवसागर दुख नाशन करिवान॥14
दोहा:
जया-जया जगदम्बा भवानी, जय हो मातु अम्बे दयानी।1
सदा करो भक्तों की रक्षा, सदा रखो उन्हें अपने कक्षा॥2
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