राजस्थान के करौली जिले में स्थित कैला देवी मंदिर शक्तिपीठों में से एक है जहां प्रतिवर्ष कई भक्तों की दर्शन के लिए भीड़ लगती है। यह मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जहां पर भक्त कैला देवी की पूजा करते हैं उन्हें मनोकामनाएं मांगते हैं।
इस लेख में हम केला देवी चालीसा का वर्णन करने जा रहे हैं जिसके माध्यम से भक्त बड़ी आसानी से श्री कैला देवी चालीसा का पाठ कर सकते हैं और माता की कृपा से जीवन में उन्नति के मार्ग में आगे बढ़ सकते हैं।
श्री कैला देवी चालीसा की और आगे बढ़ने से पहले हमने पिछले कुछ लेखो में कई प्रमुख चालीसा का वर्णन किया है आप उन्हें भी देख सकते हैं जैसे की कामाख्या चालीसा, मां पार्वती चालीसा, चामुण्डा माता चालीसा, ललिता माता चालीसा, और गायत्री चालीसा।
कैला देवी चालीसा (Kaila Mata Chalisa)
—|| दोहा ||—
जय जय कैला मात हे तुम्हे नमाउ माथ। शरण पडूं में चरण में जोडूं दोनों हाथ॥
आप जानी जान हो मैं माता अंजान। क्षमा भूल मेरी करो करूँ तेरा गुणगान॥
—|| चौपाई ||—
जय जय जय कैला महारानी, नमो नमो जगदम्ब भवानी।
सब जग की हो भाग्य विधाता, आदि शक्ति तू सबकी माता।।१।।
दोनों बहिना सबसे न्यारी, महिमा अपरम्पार तुम्हारी।
शोभा सदन सकल गुणखानी, वैद पुराणन माँही बखानी।।२।।
जय हो मात करौली वाली, शत प्रणाम कालीसिल वाली।
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी, हिंगलाज में तू महतारी।।३।।
तू ही नई सैमरी वाली, तू चामुंडा तू कंकाली।
नगर कोट में तू ही विराजे, विंध्यांचल में तू ही राजै।।४।।
धौलागढ़ बेलौन तू माता, वैष्णवदेवी जग विख्याता।
नव दुर्गा तू मात भवानी, चामुंडा मंशा कल्याणी।।५।।
जय जय सूये चोले वाली, जय काली कलकत्ते वाली।
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी, पार्वती तू ही इन्द्राणी।।६।।
सरस्वती तू विद्या दाता, तू ही है संतोषी माता।
अन्नपुर्णा तू जग पालक, मात पिता तू ही हम बालक।।७।।
तू राधा तू सावित्री, तारा मतंग्डिंग गायत्री।
तू ही आदि सुंदरी अम्बा, मात चर्चिका हे जगदम्बा।।८।।
एक हाथ में खप्पर राजै, दूजे हाथ त्रिशूल विराजै।
कालीसिल पै दानव मारे, राजा नल के कारज सारे।।९।।
शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी, महिषासुर को मारनवारी।
रक्तबीज रण बीच पछारो, शंखासुर तैने संहारो।।१०।।
ऊँचे नीचे पर्वत वारी, करती माता सिंह सवारी।
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे, तीन लोक में यश फैलावे।।११।।
अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै, चाँदी के चौतरा विराजै।
लांगुर घटूअन चलै भवन में, मात राज तेरौ त्रिभुवन में।।१२।।
घनन-घनन घन घंटा बाजत, ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत।
अगनित दीप जले मंदिर में, ज्योति जले तेरी घर-घर में।।१३।।
चौसठ जोगिन आंगन नाचत, बामन भैरों अस्तुति गावत।
देव दनुज गन्धर्व व किन्नर, भूत पिशाच नाग नारी नर।।१४।।
सब मिल माता तोय मनावे, रात दिन तेरे गुण गावे।
जो तेरा बोले जयकारा, होय मात उसका निस्तारा।।१५।।
मना मनौती आकर घर सै, जात लगा जो तोंकू परसै।
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे, गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै।।१६।।
हलुआ पूरी भोग लगावै, रोली मेहंदी फूल चढ़ावे।
जो लांगुरिया गोद खिलावै, धन बल विद्या बुद्धि पावै।।१७।।
जो माँ को जागरण करावै, चाँदी को सिर छत्र धरावै।
जीवन भर सारे सुख पावै, यश गौरव दुनिया में छावै।।१८।।
जो भभूत मस्तक पै लगावे, भूत-प्रेत न वाय सतावै।
जो कैला चालीसा पढ़ता, नित्य नियम से इसे सुमरता।।१९।।
मन वांछित वह फल को पाता, दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता।
गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी, रक्षा कर कैला महतारी।।२०।।
—|| दोहा ||—
संवत तत्व गुण नभ भुज सुन्दर रविवार ।
पौष सुदी दौज शुभ पूर्ण भयो यह कार ॥
—॥ इति कैला देवी चालीसा समाप्त ॥—
कैला माता चालीसा के लाभ
कैला माता चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि आना शुरू हो जाती है और वह बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहता है।
भक्त सभी रोगो से मुक्त रहता है तथा उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है इसके अलावा भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और वह आध्यात्म के मार्ग में आगे बढ़ता जाता है।
अगर आप भी मां कैला देवी के भक्त हो तो आपको कैला माता चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए और आपको करौली जिले में स्थित कैला देवी मंदिर में दर्शन के लिए भी अवश्य जाना चाहिए।
कैला देवी की कहानी
कई प्राचीन कहानी के अनुसार जब भगवन कृष्ण का जन्म हुआ था तब पिता वासुदेव उन्हें कालकोठरी से रात के समय नंद बाबा के यहाँ ले गए थे।
उसी समय नंद बाबा के यहाँ एक कन्या ने जन्म लिया था जिसे वह अपने साथ वापस काल कोठरी में ले आए थे जिसे कंस हाथ से उठाकर पटक कर मारने वाला होता है तब वह हाथ से छुटकर आकाश में चली जाती है और एक देवी के रूप में बदल जाती है।
वह कहती है की तुम्हारी मृत्यु निकट है और तुम्हे मारने वाला इस दुनिया में जन्म ले चुका है। उन देवी को माता कैला देवी के नाम से पूजा जाता है। इसके अलावा कैला देवी का मंदिर शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
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