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श्री राधा रानी हिंदू धर्म में कृष्ण की प्रेमिका और आराधिका के रूप में पूजनीय हैं। वे ब्रज की गोपियों में से एक हैं और उनकी लीलाओं का वर्णन भगवत गीता और अन्य ग्रंथों में किया गया है।

श्री राधा चालीसा एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है जो राधा रानी जी को समर्पित है। श्री राधा चालीसा के पाठ से भक्ति भाव में वृद्धि होती है तथा श्री कृष्ण की कृपा भक्त पर रहती है।

आइये अब बिना किसी देरी के श्री राधा चालीसा का पाठ करते है और भगवन से प्राथना करके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते है।

श्री राधा चालीसा (Radha Chalisa)

—॥ दोहा ॥—

श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार । वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम । चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥___१

—॥ चौपाई ॥—

जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा । कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥
नित्य विहारिणी श्याम अधर । अमित बोध मंगल दातार ॥१॥

रास विहारिणी रस विस्तारिन । सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥
नित्य किशोरी राधा गोरी । श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥२॥

करुना सागरी हिय उमंगिनी । ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥
दिनकर कन्या कूल विहारिणी । कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥३॥

नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें । श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥
मुरली में नित नाम उचारें । तुम कारण लीला वपु धरें ॥४॥

प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी । श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥
नवल किशोरी अति छवि लगै धामा । द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥५॥

गौरांगी शशि निंदक वदना । सुभाग चपल अनियारे नैना ॥
जावक युत पद पंकज चरण । नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हारना ॥६॥

सन्तता सहचरी सेवा करहीं । महा मोद मंगल मन भरहीं ॥
रसिकन जीवन प्रण अधर । राधा नाम सकल सुख सारा ॥७॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूप । ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥
उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी । कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥८॥

नित्य धाम गोलोक बिहारिनी । जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥
शिव अज मुनि सनकादिक नारद । पार न पायं शेष अरु शरद ॥९॥

राधा शुभ गुण रूप उजारी । निरखि प्रसन हॉट बनवारी ॥
ब्रज जीवन धन राधा रानी । महिमा अमित न जय बखानी ॥१०॥

प्रीतम संग दिए गल बाहीं । बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥
राधा कृष्ण कृष्ण कहै राधा । एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥११॥

श्री राधा मोहन मन हरनी । जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदनी ॥
कोटिक रूप धरे नन्द नंदा । दरश करन हित गोकुल चंदा ॥१२॥

रास केलि कर तुम्हें रिझावें । मान करो जब अति दुःख पावें ॥
प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें । विविध भांति नित विनय सुनावें ॥१३॥

वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्यामा । नाम लेथ पूरण सब कामा ॥
कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू । विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥१४॥

तऊ न श्याम भक्तही अहनावें । जब लगी राधा नाम न गावें ॥
वृंदा विपिन स्वामिनी राधा । लीला वपु तब अमित अगाधा ॥१५॥

स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा । और तुम्हें को जानन हारा ॥
श्रीराधा रस प्रीति अभेदा। सादर गान करत नित वेदा ॥१६॥

राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं । ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥
कीरति कुमारी हूँवारी राधा । सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ॥१७॥

नाम अमंगल मूल नसावन । त्रिविध ताप हर हरी मन भवानी ॥
राधा नाम ले जो कोई । सहजही दामोदर वश होई ॥१८॥

राधा नाम परम सुखदायी । भजतहिं कृपा करें यदुराई ॥
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै। जो कौउ राधा नाम सुमिरिहै ॥१९॥

रास विहारिनी श्यामा प्यारी । करुहू कृपा बरसाने वारि ॥
वृन्दावन है शरण तुम्हारी । जय जय जय वृषभानु दुलारी ॥२०॥

—॥ दोहा ॥—

श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम । करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥___१

अन्य चालीसा –

श्री राधा रानी की कहानी

श्री राधा रानी हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति और उनकी परम प्रेमिका मानी जाती हैं। वे ब्रज की गोपियों में से एक हैं और उनकी लीलाओं का वर्णन प्रमुख ग्रन्थ भगवत गीता और अन्य पवित्र ग्रंथों में किया गया है। उनकी पूजा पुरे भारत भर में की जाती है और उनके प्रमुख मंदिर ब्रज क्षेत्र में स्थित हैं। उन्हें प्रेम, करुणा, भक्ति और निस्वार्थता का प्रतीक माना जाता है।

श्री राधा चालीसा का महत्व

श्री राधा रानी की कृपा से जीवन में कई चमत्कार होने लग जाते है। श्री राधा चालीसा के पाठ से भक्त को मन की शांति मिलती है, प्रेम और भक्ति का जागरण होता है, सकारात्मक ऊर्जा मे वृद्धि होती है, और आध्यात्मिक विकास होता है।

श्री राधा रानी चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का होता है। आप किसी भी पवित्र स्थान पर बैठकर या खड़े होकर इस चालीसा का पाठ कर सकते हैं और माता रानी की कृपा को अपने जीवन में ला सकते है।

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