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अगर आप अपने आध्यात्मिक जीवन की तलाश और ज्ञान पाना चाहते हैं। तो श्री गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) का पाठ कर आपके लिए लाभकरी साबित हो सकता हैं। भगवान श्री गोरखनाथ जी के भक्तो के लिए हम लेकर आये हैं उनकी सम्पूर्ण चालीसा और pdf book जिसे पा कर वे हर दिन भगवान का जाप कर सकते हैं।

अगर आप भगवान चामुण्डा माता और ललिता माता के भक्त हैं तो आपकी इनकी चालीसा का पथ भी जरूर करना चाहिए।

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गोरखनाथ चालीसा

॥ चालीसा दोहा ॥

गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार
हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार॥

॥ चालीसा चोपाई ॥

जय जय जय गोरख अविनाशी । कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ॥ 1 ॥

जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी । इच्छा रूप योगी वरदानी ॥ 2 ॥

अलख निरंजन तुम्हरो नामा । सदा करो भक्त्तन हित कामा ॥ 3 ॥

नाम तुम्हारो जो कोई गावे । जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥ 4 ॥

जो कोई गोरख नाम सुनावे । भूत पिसाच निकट नहीं आवे ॥ 5 ॥

ज्ञान तुम्हारा योग से पावे । रूप तुम्हारा लख्या न जावे ॥ 6 ॥

निराकार तुम हो निर्वाणी । महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥ 7 ॥

घट – घट के तुम अंतर्यामी । सिद्ध चोरासी करे परनामी ॥ 8 ॥

भस्म अंग गल नांद विराजे । जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥ 9 ॥

तुम बिन देव और नहीं दूजा । देव मुनिजन करते पूजा ॥ 10 ॥

चिदानंद संतन हितकारी । मंगल करण अमंगल हारी ॥ 11 ॥

पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी । गोरख नाथ सकल प्रकाशी ॥ 12 ॥

गोरख गोरख जो कोई धियावे । ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ॥ 13 ॥

शंकर रूप धर डमरू बाजे । कानन कुंडल सुन्दर साजे ॥ 14 ॥

नित्यानंद है नाम तुम्हारा । असुर मार भक्तन रखवारा ॥ 15 ॥

अति विशाल है रूप तुम्हारा । सुर नर मुनि जन पावे न पारा ॥ 16 ॥

दीनबंधु दीनन हितकारी । हरो पाप हम शरण तुम्हारी ॥ 17 ॥

योग युक्ति में हो प्रकाशा । सदा करो संतान तन बासा ॥ 18 ॥

प्रात : काल ले नाम तुम्हारा । सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा ॥ 19 ॥

हठ हठ हठ गोरछ हठीले । मर मर वैरी के कीले ॥ 20 ॥

चल चल चल गोरख विकराला । दुश्मन मार करो बेहाला ॥ 21 ॥

जय जय जय गोरख अविनाशी । अपने जन की हरो चोरासी ॥ 22 ॥

अचल अगम है गोरख योगी । सिद्धि दियो हरो रस भोगी ॥ 23 ॥

काटो मार्ग यम को तुम आई । तुम बिन मेरा कोन सहाई ॥ 24 ॥

अजर अमर है तुम्हारी देहा । सनकादिक सब जोरहि नेहा ॥ 25 ॥

कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा । है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ 26 ॥

योगी लखे तुम्हारी माया । पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ॥ 27 ॥

ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे । अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ॥ 28 ॥

शिव गोरख है नाम तुम्हारा । पापी दुष्ट अधम को तारा ॥ 29 ॥

अगम अगोचर निर्भय नाथा । सदा रहो संतन के साथा ॥ 30 ॥

शंकर रूप अवतार तुम्हारा । गोपीचंद भरथरी को तारा ॥ 31 ॥

सुन लीजो प्रभु अरज हमारी । कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ॥ 32 ॥

पूर्ण आस दास की कीजे । सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥ 33 ॥

पतित पवन अधम अधारा । तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥ 34 ॥

अखल निरंजन नाम तुम्हारा । अगम पंथ जिन योग प्रचारा ॥ 35 ॥

जय जय जय गोरख भगवाना । सदा करो भक्त्तन कल्याना ॥ 36 ॥

जय जय जय गोरख अविनाशी । सेवा करे सिद्ध चोरासी ॥ 37 ॥

जो यह पढ़े गोरख चालीसा । होए सिद्ध साक्षी जगदीशा ॥ 38 ॥

हाथ जोड़कर ध्यान लगावे । और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥ 39 ॥

बारह पाठ पढ़े नित जोई । मनोकामना पूर्ण होई ॥ 40 ॥

श्री गोरखनाथ चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?

श्री गोरखनाथ चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक विकास होता है। मन को शांति और स्थिरता मिलती है जिससे नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न नहीं होती है। पथ का जाप हर रोज करने पर व्यक्ति के जीवन में शांति बनी रहती हैं औरवे एक संतुलित जीवन जी सकता है। श्री गोरखनाथ जी का आशीर्वाद भी सदा आप पर बना रहता है और भक्तों के जीवन में सफलता स्मृति और सुख शांति बनी रहती है।

गुरु गोरखनाथ का कौन सा दिन होता है?

गुरु गोरखनाथ जी के जन्म को गुरु गोरखनाथ जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। गुरु गोरखनाथ जयंती वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।

Gorakhnath Chalisa PDF

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