बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे एक लोकप्रिय भजन है जो राग और भावनाओं से भरपूर है। इस भजन के बोल भगवान श्री कृष्ण के प्रेम और उनकी बाँसुरी के आकर्षण को व्यक्त करते हैं। बाँसुरी की मधुर आवाज और कृष्ण के साथ उसका संबंध भारतीय संगीत और भक्ति संगीत में एक अहम स्थान रखता है। इस भजन के लिरिक्स में गहरी भावना और भगवान के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति है, जो भक्तों के दिलों को छू जाती है। आइए, इस भजन के शब्दों में छुपे संदेश और भावनाओं को समझें और कृष्ण भक्ति की एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।
Bas ki basuriya pe lyrics
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
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जैल में जनम लेके घणो इतरावे
कोई महला में जो होतो,
कोई अंगना में जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे
कोई यशोदा के होतो,
माँ यशोदा के जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे
कोई गुरुकुल में जो होतो,
कोई विद्यालय जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे
कोई गोरो सो जो होतो,
कोई सोणो सो जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे
छप्पन भोग जो होतो,
मावा मिश्री जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।।
Singer – Nisha Dutt