इस लेख में आप श्री वासुपूज्य चालीसा के बारे में जानेगे। भगवान वासुपूज्य का जैन धर्म में बहुत आदर है वह जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर हैं। उनका जीवन, त्याग तथा शिक्षा जैन धर्म के अनुयायियों के लिए आदर्श माने जाते हैं।
वासुपूज्य भगवान का जन्म उत्तर प्रदेश के चंपापुरी नगर में इक्ष्वाकु वंश के राजा वसुपूज्य और रानी जयावती के यहां हुआ था। भगवान वासुपूज्य ने काफी कम उम्र में सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया और तपस्या में लग गए। उन्होंने जैन अनुयायियों को धर्म, त्याग, सत्य तथा तपस्या का मार्ग दिखाया इसके कारण उनका सम्मान और पूजन किया जाता है।
आइये अब बिना किसी देरी के श्री वासुपूज्य चालीसा की और आगे बढ़ते है और इसका पाठ कर के जीवन में सांसारिक तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करते हैं।
श्री वासुपूज्य चालीसा (Vasupujya Bhagwan Chalisa)
बासु पूज्य महाराज का चालीसा सुखकार ।
विनय प्रेम से बॉचिये करके ध्यान विचार ।।१।।
जय श्री वासु पूज्य सुखकारी, दीन दयाल बाल ब्रह्मचारी ।
अदभुत चम्पापुर राजधानी, धर्मी न्यायी ज्ञानी दानी ।।२।।
वसू पूज्य यहाँ के राजा, करते राज काज निष्काजा ।
आपस मेँ सब प्रेम बढाने, बारह शुद्ध भावना भाते ।।३।।
गऊ शेर आपस ने मिलते, तीनों मौसम सुख मेँ कटते ।
सब्जी फल घी दूध हों घर घर, आते जाते मुनी निरन्तर ।।४।।
वस्तु समय पर होती सारी, जहाँ न हों चोरी बीमारी ।
जिन मन्दिर पर ध्वजा फहरायें, घन्टे घरनावल झन्नायेँ ।।५।।
शोभित अतिशय मई प्रतिमाये, मन वैराग्य देरव छा जायेँ ।
पूजन, दर्शन नव्हन कराये, करें आरती दीप जलायें ।।६।।
राग रागनी गायन गायें, तरह तरह के साज बजायें ।
कोई अलौकिक नृत्य दिखाये, श्रावक भक्ति में भर जायें ।।७।।
होती निशदिन शास्त्र सभायें, पद्मासन करते स्वाध्यायेँ ।
विषय कषायेँ पाप नसायें, संयम नियम विवेक सुहाये ।।८।।
रागद्वेष अभिमान नशाते, गृहस्थी त्यागी धर्मं निभाते ।
मिटें परिग्रह सब तृष्णये, अनेकान्त दश धर्म रमायें ।।९।।
छठ अषाढ़ बदी उर -आये, विजया रानी भाग्य जगाये ।
सुन रानी से सोलह सुपने, राजा मन में लगे हरषने ।।१०।।
तीर्थंकर लें जन्म तुम्हारे, होंगे अब उद्धार हमारे ।
तीनो बक्त नित रत्न बरसते, विजया मॉ के आँगन भरते ।।११।।
साढे दस करोड़ थी गिनती, परजा अपनी झोली भरती ।
फागुन चौदस बदि जन्माये, सुरपति अदभुत जिन गुण गाये ।।१२।।
मति श्रुत अवधि ज्ञान भंडारी, चालिस गुण सब अतिशय धारी ।
नाटक ताण्डव नृत्य दिखाये, नव भव प्रभुजी के दरशाये ।।१३।।
पाण्डु शिला पर नव्हन करायें, वन्त्रभूषन वदन सजाये ।
सब जग उत्सव हर्ष मनायें, नारी नर सुर झूला झुलायेँ ।।१४।।
बीते सुख में दिन बचपन के, हुए अठारह लारव वर्ष के ।
आप बारहवें हो तीर्थकर, भैसा चिंह आपका जिनवर ।।१५।।
धनुष पचास बदन केशरिया, निस्पृह पर उपकार करइया ।
दर्शन पूजा जप तप करते, आत्म चिन्तवन में नित रमते ।।१६।।
गुर- मुनियों का आदर कते, पाप विषय भोगों से बचते ।
शादी अपनी नहीं कराई, हारे नान मात समझाई ।।१७।।
मात पिता राज तज दीने, दीक्षा ले दुद्धर तप कीने ।
माघ सुदी दोयज दिन आया, कैवलज्ञान आपने पाया ।।१८।।
समोशरण सुर रचे जहाँ पर, छासठ उसमें रहते गणधर ।
वासु पूज्य की खिरती वाणी, जिसको गणघरवों ने जानी ।।१९।।
मुख से उनके वो निकली थी, सब जीवों ने वह समझी थी ।
आपा आप आप प्रगटाया, निज गुण ज्ञान भान चमकाया ।।२०।।
सब भूलों को राह दिखाई, रत्नत्रय की जोत जलाई ।
आत्म गुण अनुभव करवाया, ‘सुमत’ जैनमत जग फैलाया ।।२१।।
सुदी भादवा चौदस आई, चम्पा नगरी मुक्ती पाई ।
आयु बहत्तर लारव वर्ष की, बीती सारी हर्ष धर्म की ।।२२।।
और चोरानवें थे श्री मुनिवर, पहुँच गये वो भी सब शिवपुर ।
तभी वहाँ इन्दर सुर आये, उत्सव मिल निर्वाण मनाये ।।२३।।
देह उडी कर्पुर समाना, मधुर सुगन्धी फैला नाना ।
फैलाई रत्नों को माला, चारों दिशा चमके उजियाला ।।२४।।
कहै ‘सुमत’ क्या गुण जिन राई, तुम पर्वत हो मैं हूँ राई ।
जब ही भक्ती भाव हुआ है, चम्पापुर का ध्यान किया हैं ।
लगी आश मै भी कभी जाऊँ, वासु पूज्य के दर्शन पाऊँ ।।२५।।
—||सोरठा||—
खेये धूप सुगन्ध, वासु पूज्य प्रभु ध्यान के ।
कर्म भार सब तार, रूप स्वरूप निहार के ।।१।।
मति जो मन में होय, रहें वैसी हो गति आय के ।
करो सुमत रसपान, सरल निज्जात्तम पाय के ।।२।।
वासुपूज्य भगवान चालीसा का महत्व
वासुपूज्य भगवान चालीसा का श्रद्धा और भक्ति से पाठ करने से भक्त पर भगवान वासुपूज्य की कृपा रहती है और उसको नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है, मानसिक एकाग्रता बढ़ती है, जीवन की बाधाओं से सुरक्षा मिलती है, और वह मोक्ष की प्राप्ति के पथ पर अग्रसर रहता है।
श्री वासुपूज्य चालीसा चालीसा का पाठ करने का समय
श्री वासुपूज्य चालीसा का पाठ वे सभी उम्र के लोग कर सकते हैं जो भगवान वासुपूज्य के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखता है। चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए। इसे करने के लिए शुद्धता और समर्पण आवश्यक हैं। चालीसा का पाठ 11, 21, या 108 बार करने का विशेष महत्व माना जाता है।
Vasupujya Bhagwan Chalisa PDF
आप प्रतिदिन वासुपूज्य भगवान चालीसा का पाठ आसानी से कर सके इसीलिए हमने आपके लिए बेस्ट क्वालिटी चालीसा का पीडीएफ तैयार किया है।
हमें पूरी उम्मीद है कि आपके हमारी यह वासुपूज्य भगवान चालीसा पीडीएफ जरूर पसंद आएगी। आप इसे हमारे द्वारा खरीद सकते हैं और प्रतिदिन वासुपूज्य चालीसा का पाठ करके अपने जीवन में सुखद बदलाव ला सकते हैं।
संबंधित पोस्ट –
अवतार : भगवान विष्णु के 10 अवतार
यह eBook उन सभी भक्तों और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आदर्श है, जो भगवान विष्णु के अवतारों के माध्यम से जीवन के महत्व, धर्म, और अच्छे कार्यों की प्रेरणा प्राप्त करना चाहते हैं।
पुस्तक की विशेषताएँ:
यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।
आज ही खरीदे मात्र : ₹199/-
Ebook User Ratings : ⭐⭐⭐⭐⭐