जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ की स्तुति में श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा को लिखा गया था। जिसका पाठ भगवान मुनिसुव्रतनाथ जी के भक्त प्रति दिन करते हैं। लेकिन वे भक्त जो अब भगवान मुनिसुव्रतनाथ जी की चालीसा का पाठ करना चाहते हैं। उनके लिए हमने सम्पूर्ण श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा को यहाँ प्रस्तुत किया हैं।
अन्य चालीसा जैसे भगवान महावीर चालीसा, श्री नमिनाथ चालीसा, श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ करना आप चाहते हैं तो यह भी जरूर करे।
श्री मुनिसुव्रत चालीसा
—दोहा—
अरिहंत सिद्ध आचार्य को करूँ प्रणाम ।1
उपाध्याय सर्व-साधू करते स्व-पर-कल्याण ।।2
जिनधर्म जिनागम जिनमंदिर पवित्र-धाम ।3
वीतराग की प्रतिमा को कोटि-कोटि प्रणाम ।।4
—चोपाई—
जय मुनिसुव्रत दया के सागर |1
नाम प्रभु का लोक उजागर ||2
सुमित्रा राजा के तुम नन्दा |3
मां शामा की आंखो के चन्दा ||4
श्यामवर्ण मूरत प्रभू की प्यारी |5
गुणगान करें निशदिन नर नारी ||6
मुनिसुव्रत जिन हो अन्तरयामी |7
श्रद्धा भाव सहित तुम्हें प्रणामी ||8
भक्ति आपकी जो निशदिन करता |9
पाप ताप भय संकट-हरता ||10
प्रभू ; संकटमोचन नाम तुम्हारा |11
दीन दुखी जीवों का सहारा ||12
कोई दरिद्री या तन का रोगी |13
प्रभू दर्शन से होते हैं निरोगी ||14
मिथ्या तिमिर भयो अति भारी |15
भव भव की बाधा हरो हमारी ||16
यह संसार महा दुख दाई |17
सुख नहीं यहां दुख की खाई ||18
मोह जाल में फंसा है बंदा |19
काटो प्रभु भव भव का फंदा ||20
रोग शोक भय व्याधि मिटावो |21
भव सागर से पार लगावो ||22
घिरा कर्म से चौरासी भटका |23
मोह माया बन्धन में अटका ||24
संयोग-वियोग भव भव का नाता |25
राग द्वेष जग में भटकाता ||26
हित मित प्रित प्रभू की वाणी |27
स्वपर कल्याण करें मुनि ध्यानी ||28
भव सागर बीच नाव हमारी |29
प्रभु पार करो यह विरद तिहारी ||30
मन विवेक मेरा अब जागा |31
प्रभु दर्शन से कर्ममल भागा ||32
नाम आपका जपे जो भाई |33
लोका लोक सुख सम्पदा पाई ||34
कृपा दृष्टी जब आपकी होवे |35
धन आरोग्य सुख समृधि पावे ||36
प्रभु चरणन में जो जो आवे |37
श्रद्धा भक्ति फल वांच्छित पावे ||38
प्रभु आपका चमत्कार है न्यारा |39
संकट मोचन प्रभु नाम तुम्हारा ||40
सर्वज्ञ अनंत चतुष्टय के धारी |41
मन वच तन वंदना हमारी ||42
सम्मेद शिखर से मोक्ष सिधारे |43
उद्धार करो मैं शरण तिहांरे ||44
महाराष्ट्र का पैठण तीर्थ |45
सुप्रसिद्ध यह अतिशय क्षेत्र ||46
मनोज्ञ मन्दिर बना है भारी |47
वीतराग की प्रतिमा सुखकारी ||48
चतुर्थ कालीन मूर्ति है निराली |49
मुनिसुव्रत प्रभू की छवि है प्यारी ||50
मानस्तंभ उत्तग की शोभा न्यारी |51
देखत गलत मान कषाय भारी ||52
मुनिसुव्रत शनिग्रह अधिष्ठाता |53
दुख संकट हरे देवे सुख साता ||54
शनि अमावस की महिमा भारी |55
दूर-दूर से आते नर नारी ||56
मुनिसुव्रत दर्शन महा हितकारी |57
मन वच तन वंदना हमारी ||58
श्री मुनिसुव्रत चालीसा का जाप क्यों करना चाहिए?
अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भगवान के प्रति भक्ति भाव और आध्यात्मिक विकास चाहते हैं तो भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जी की चालीसा का जाप करने से आप आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आपको किसी प्रकार का तनाव है परेशानी है तो चालीसा का जाप करने से आपके मन को शांति मिलेगी।
नियमित रूप से जाप करने पर पापों का नाश होगा और आपको पुण्य की प्राप्ति होगी।
अगर आप एक ऐसे व्यक्ति है जो मानसिक रूप से शांत रहना पसंद करते हैं और मानसिक शक्ति का विकास पाना चाहते हैं। तो चालीसा का पाठ आपको बेहतर निर्णय लेने के लिए शक्ति प्रदान करेगा।
कैसे करें चालीसा का जाप?
- शुद्ध मन: चालीसा का जाप करने से पहले आपको अपने मन में किसी भी प्रकार का कोई अशुद्ध विचार नहीं रखता है। आपको शुद्ध विचार से और शुद्ध मन से चालीसा का जाप करना है
- शांत वातावरण: चालीसा का जाप करने से पहले आप अपने आस-पास के वातावरण को शांत बनाए अगर आप एक शांत वातावरण में नहीं है तो ऐसी जगह की खोज करें जहां आपको शांति मिल सके ताकि आप अपने पूरे ध्यान के साथ चालीसा का पाठ कर सके।
- नियमितता: अगर आप नियमित रूप से चालीसा का पाठ करते हैं या जाप करते हैंतो आपको आपके जीवन में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
- श्रद्धा: जाप करते समय भगवान मुनिसुव्रतनाथ जी पर अटूट श्रद्धा रखें ताकि आप अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सके और भगवान के प्रति अपनी भक्ति भाव को व्यक्त कर सकें।
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Munisuvrat Chalisa in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं .अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो प्रतिदिन चालीसा का पाठ करना पसंद करते हैं। तो यह एक बेहतर तरीका है जिससे कि आप चालीसा का पाठ कर सकें। श्री मुनिसुव्रत चालीसा एक शक्तिशाली मंत्र के रूप में काम करता है जो भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन मेंसफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है और साथ ही साथ आप, pdf में संपूर्ण चालीसा का हिंदी अनुवाद भी पा सकते हैं।
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