जीण माता राजस्थान की एक प्रमुख हिंदू देवी हैं। नागौर के स्थानीय लोग जीण माता को बहुत मानते है और उनका पूजा पाठ करते है। अगर आप भी जीण माता में आस्था रखते है तोह इस लेख में आपको श्री जीण माता चालीसा जानने को मिलेगी।
जीण माता को देवी दुर्गा माँ का एक रूप माना जाता है और जीण माता के दर्शन के लिए भक्त बहुत दूर-दूर से आते हैं। जीण माता चालीसा के पाठ से जीवन में सुखद बदलाव आना शुरू हो जाते है तथा जीवन में सुख, शांति, तथा समृद्धि प्राप्त होती है।
श्री जीण माता चालीसा (Jin Chalisa)
—|| दोहा ||—
श्री गुरुपद सुमिरण करूँ, गौरीनंदन ध्याय ।
वरणऊ माता जीण यश , चरणों शीश नवाय ।।___१
झांकी की अद्भुत छवि , शोभा कही न जाय ।
जो नित सुमरे माय को , कष्ट दूर हो जाय ।।___२
—॥ चौपाई ॥—
जय श्री जीणभक्त सुखकारी |नमो नमो भक्तन हितकारी ॥
दुर्गा की तुम हो अवतारा |सकल कष्ट तु मेट हमारा ॥१॥
महाभयंकर तेज तुम्हारा |महिषासुर सा दुष्ट संहारा ॥
कंचन छत्र शिष पर सोहे|देखत रूप चराचर मोहे॥२॥
तुम क्षत्रीधर तनधर लिन्हां |भक्तों के सब कारज किन्हां ॥
महाशक्ति तुम सुन्दर बाला |डरपत भूत प्रेत जम काला ॥३॥
ब्रहमा विष्णु शंकर ध्यावे |ऋषि मुनि कोई पार न पावे ॥
तुम गौरी तुम शारदा काली|रमा लक्ष्मी तुम कपपाली॥४॥
जगदम्बा भवरों की रानी |मैया मात तू महाभवानी ॥
सत पर तजे जीण तुम गेहा|त्यागा सब से क्षण में नेहा ॥५॥
महातपस्या करनी ठानी|हरष खास था भाई ज्ञानी ॥
पिछे से आकर समझाई |घर वापिस चल माँ की जाई॥६॥
बहुत कही पर एक ना मानी |तब हरसा यूँ उचरी बानी ॥
मैं भी बाई घर नहीं जाऊँ|तेरे साथ राम गुण गाऊँ॥७॥
अलग अलग तप स्थल किन्हां |रैन दिवस तप मैं चितदीन्हा ॥
तुम तप कर दुर्गात्व पाया |हरषनाथ भैरू बन छाया ॥८॥
वाहन सिंह खडक कर चमके |महातेज बिजली सा दमके ॥
चक्र गदा त्रिशूल विराजे |भागे दुष्ट जब दुर्गा जागे ॥९॥
मुगल बादशाह चढकर आया |सेना बहुत सजाकर लाया॥
भैरव का मंदिर तुड़वाया ।फिर वो इस मंदिर पर धाया ॥१०॥
यह देख पुजारी घबराये ।करी स्तुति मात जगाये॥
तब माता तु भौरें छोडे ।सेना सहित भागे घोड़े ॥११॥
बल का तेज देख घबराया ।जा चरणों में शीश नवाया ॥
क्षमा याचना किन्हीं भारी ।काट जीण मेरी सब बेमारी ॥१२॥
सोने का वो छत्र चढ़ाया ।तेल सवामन और बंधाया ॥
चमक रही कलयुग में माई ।तीन लोक में महिमा छाई॥१३॥
जो कोई तेरे मंदिर आवे ।सच्चे मन से भोग लगावे॥
रोली वस्त्र कपूर चढ़ावे ।मनवांछित पूर्ण फल पावे ॥१४॥
करे आरती भजन सुनावे ।सो नर शोभा जग में पावे ॥
शेखा वाटी धाम तुम्हारा ।सुन्दर शोभा नहीं सुम्हारा ॥१५॥
अश्विन मास नौराता माही ।कई यात्री आवे जाही ॥
देश – देश से आवे रेला ।चैत मास में लागे मेला ॥१६॥
आवे ऊँट कार बस लारी ।भीड़ लगे मेला में भारी ॥
साज – बाज से करते गाना ।कई मर्द और कई जनाना ॥१७॥
जात झडुला चढे अपारा ।सवामणी का पाऊ न पारा ॥
मदिरा में रहती मतवाली ।जय जगदम्बा जय महाकाली ॥१८॥
जो कोई तुम्हरे दर्शन पावे ।मौज करे जुग – जुग सुख पावे ॥
तुम्ही हमारी पितु और माता ।भक्ति शक्ति दो हे दाता ॥१९॥
जीण चालीसा जो कोई गावे ।सो सत पाठ करे करवावे। ॥
मैया नैया पार लगावे ।सेवक चरणों में चित् लावे ॥२०॥
—|| दोहा ||—
जय दुर्गा जय अंबिका जग जननी गिरी राय ।
दया करो हे चंडिका विनऊ शीश नवाय ॥
आप अन्य चालीसा को भी देख सकते हो जैसे श्री छिन्नमस्ता चालीसा, मां काली चालीसा, मां शाकंभरी देवी चालीसा, कैला देवी चालीसा, और कामाख्या चालीसा।
जीण माता का मंदिर
जीण माता का प्रमुख मंदिर राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है और भक्तों के लिए यह एक पवित्र स्थल है। स्थानीय लोग जीण माता को माताजी के नाम से पुकारते है। जीण माता की पूजा आराधना के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है तथा चालीसा का पाठ भी होता है।
जीण माता चालीसा के फायदे
जीण माता चालीसा के कई लाभ है तथा शुद्ध मन से चालीसा का पाठ करने से जीवन में सफलता मिलती है तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके अलावा जीण माता चालीसा के पाठ से मन की शांति, दुखों से मुक्ति, तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
अगर आप जीण माता आस्था रखते है तोह आपको चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। आप जीण चालीसा का पाठ प्रतिदिन प्रातः काल कर सकते है और आपको विशेष अवसरों, त्योहारों, तथा नवरात्रि में जरूर पाठ करना चाहिए।
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