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श्री चैतन्य महाप्रभु वैष्णव धर्म के एक महान संत और भक्त थे उन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। आज का यह लेख श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र के बारे में है और यह श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके सहयोगियों की महिमा का गान करता है।

यह मंत्र श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके चार प्रमुख सहयोगियों की आराधना के लिए जपा जाता है जिन्हें मिलाकर पंच तत्त्व कहा जाता है। पंच तत्त्व में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु, नित्यानंद प्रभु, अद्वैत आचार्य, श्रीवास ठाकुर और गदाधर पंडित शामिल हैं।

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आइये अब श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र की और आगे बढ़ते है और इस मंत्र का जाप करते है।

श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र (Pancha Tattva Mantra)

जय श्रीकृष्णचैतन्य प्रभु नित्यानंद ।
श्री अद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौर भक्तवृंद ॥

—|| Mantra in English ||—

Jaya Sri-Krishna-Chaitanya Prabhu Nityananda.
Sri-Advaita Gadadhara Srivasadi-Gaura-Bhakta-Vrinda.

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श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र का अनुवाद

इस मंत्र में श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके प्रमुख शिष्यों का नाम लेकर उनका स्तुति की जाती है। इसके साथ ही इसमें सभी गौड़ीय वैष्णव भक्तों को भी नमन किया जाता है।

इस मंत्र का अर्थ है की में भगवन श्री कृष्ण को नमस्कार करता हूँ और श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु, प्रभु नित्यानंद, श्री अद्वैत, गदाधर, श्रीवास और उनके साथ अन्य सभी गौर भक्तों को मेरा नमन है।

श्री पंच-तत्व मंत्र जाप का महत्व

श्री पंच-तत्व मंत्र जाप से भक्त के मन में भक्ति और प्रेम की भावना जागृत होती है। भक्त को माया और सांसारिक बंधनों से मुक्त मिलने में सहायक है। भक्त को मन की शांति प्राप्त होती है और भगवन श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Pancha Tattva Mantra PDF

आप आसानी से श्री पंच-तत्व प्रणाम मंत्र का जाप कर सको इसके लिए हमने श्री पंच-तत्व मंत्र की PDF को तैयार किया है। इसमें आपको श्री पंच-तत्व मंत्र के साथ साथ कई और मंत्र भी जानने को मिलेंगे जो आपके भक्ति मार्ग में सहायक होंगे।

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