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“ॐ जय जगदीश हरे” आरती भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत लोकप्रिय आरती है, जिसे लगभग हर हिंदू घर और मंदिर में पूजा-अर्चना के समय गाया जाता है। आरती हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है क्योंकि यह भगवान की स्तुति और कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम है। दीपक और घंटी की ध्वनि के साथ आरती गाने से वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। खास बात यह है कि “ॐ जय जगदीश हरे” केवल एक आरती नहीं, बल्कि भक्ति और विश्वास का प्रतीक है, जिसे पीढ़ियों से भक्तजन गाते आ रहे हैं। यही कारण है कि यह हर पूजा, भजन संध्या और धार्मिक आयोजन में विशेष स्थान रखती है।

लोगों को Lyrics की ज़रूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि कई बार भक्त आरती तो सुन चुके होते हैं, लेकिन उन्हें पूरा पाठ याद नहीं होता। सही शब्दों के साथ आरती पढ़ने और गाने से मन में अधिक एकाग्रता आती है और भक्ति का भाव गहरा होता है। यही वजह है कि भक्त अक्सर Om Jai Jagdish Hare lyrics खोजते हैं, ताकि वे पूजा के समय आरती को सही ढंग से गा सकें और भगवान की आराधना पूरी श्रद्धा से कर सकें।

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ॐ जय जगदीश हरे का इतिहास

“ॐ जय जगदीश हरे” आरती भगवान विष्णु की स्तुति में रची गई है और इसे हिंदी के प्रसिद्ध कवि पंडित श्री श्रद्धाराम फिल्लौरी ने 19वीं शताब्दी में लिखा था। श्रद्धाराम जी एक संत, समाज सुधारक और साहित्यकार थे। उन्होंने इस आरती को सरल भाषा और मधुर छंद में लिखा, ताकि हर वर्ग का भक्त इसे आसानी से गा सके। धीरे-धीरे यह आरती घर-घर और मंदिरों तक पहुँच गई और भक्तों की आस्था का हिस्सा बन गई।

मंदिरों में पूजा-अर्चना के अंत में “ॐ जय जगदीश हरे” आरती गाने की परंपरा है। विशेषकर भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और श्रीराम के मंदिरों में यह आरती नियमित रूप से गाई जाती है। दीपक, कपूर और घंटियों की ध्वनि के साथ जब यह आरती होती है, तो वातावरण भक्तिमय और पवित्र हो उठता है। यही कारण है कि आज यह आरती केवल मंदिरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हर हिंदू घर में इसे पूजा-पाठ का अनिवार्य हिस्सा बना लिया गया है।

भक्ति और आस्था में इस आरती की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। जब भक्त मिलकर इसे गाते हैं तो उनमें एकता, शांति और सकारात्मकता का संचार होता है। “ॐ जय जगदीश हरे” आरती को गाने से भक्त अपने मन के क्लेश, भय और दुखों से मुक्त होकर ईश्वर की शरण में आ जाते हैं। यह केवल भगवान विष्णु की स्तुति नहीं है, बल्कि भक्ति का ऐसा माध्यम है जो भक्त और भगवान के बीच प्रेम और विश्वास का संबंध और भी मजबूत करता है।

ॐ जय जगदीश हरे – Om jai jagdish lyrics​

आरती पाठ

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप (कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

आरती करने की विधि

1. आरती करने का सही समय

आरती करने का सर्वश्रेष्ठ समय सुबह और शाम माना गया है।

  • सुबह आरती करने से दिनभर का वातावरण सकारात्मक और शुभ बना रहता है।
  • शाम की आरती घर और मंदिर में दिव्य प्रकाश और शांति का वातावरण उत्पन्न करती है।
    विशेष अवसरों पर, जैसे जन्मदिन, त्योहार या पूजा-अनुष्ठान के बाद भी आरती अवश्य करनी चाहिए।

2. आरती करने में किन सामग्री का प्रयोग करें

आरती को और पवित्र बनाने के लिए कुछ सामग्री का प्रयोग किया जाता है:

  • दीपक (घी या तेल का) – ईश्वर के समक्ष प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक।
  • कपूर – वातावरण को शुद्ध करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए।
  • घंटी – आरती के समय बजाने से मन एकाग्र होता है और भक्तिमय वातावरण बनता है।
  • फूल और अगरबत्ती – भगवान को प्रसन्न करने और सुगंधित वातावरण के लिए।
  • थाली – जिसमें दीपक, कपूर और फूल रखकर भगवान के समक्ष घुमाया जाता है।

3. परिवार/भक्तों के साथ मिलकर गाने का महत्व

आरती का सबसे बड़ा महत्व तब होता है जब इसे परिवार या भक्तजन मिलकर गाते हैं।

  • सामूहिक रूप से आरती करने से भक्ति का भाव कई गुना बढ़ जाता है।
  • घर के सभी सदस्यों में एकता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • बच्चों को भी आरती के माध्यम से धार्मिक संस्कार मिलते हैं।
  • सामूहिक गायन से वातावरण में दिव्यता और शांति फैलती है, जिससे हर व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मिक सुख मिलता है।

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