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मारुती भगवान हनुमान जी का ही एक नाम है और वह भगवान राम के परम भक्त के रूप में जाने जाते है। भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त मारुती स्तोत्र का जाप कर सकते है।

मारुती स्तोत्र भगवान हनुमान जी की स्तुति में गाया जाने वाला एक पवित्र मंत्र है। इस स्तोत्र के जाप से भक्तों के मन को शांति मिलती है तथा उनके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है और उन पर मारुति नंदन की कृपा रहती है।

तो आइये इस लेख में मारुती स्तोत्र, स्तोत्र के महत्व, स्तोत्र का जाप कब और कैसे करना चाहिए इन सभी के बारे में जानते है।

श्री मारुती स्तोत्र (Maruti Stotra)

—|| मारुति स्तोत्रम् ||—

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।

प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।।१।।

भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।।२।।

ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।
मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।।३।।

मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन ।।४।।

शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।।५।।

श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे ।।६।।

श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा ।।७।।

विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।
हन हन हुं फट् स्वाहा॥८।।

एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥
इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥९।।

—|| मारुति स्तोत्र ||—

भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।_१

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।_२

दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।_३

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।_४

ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।_५

ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।_६

पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।_७

ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।_८

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।_९

आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।_१०

अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।_११

ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।_१२

आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।_१३

धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।_१४

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।_१५

हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।_१६

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।_१७

।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।

मारुती स्तोत्र के महत्व और लाभ

मारुती स्तोत्र भगवन हनुमान जी को समर्पित एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है। इसे संत समर्थ रामदास स्वामी ने रचा था और यह स्तोत्र हनुमान भक्तों के बीच बहुत प्रचलित है।

मारुती स्तोत्र का जाप करने से पहले भक्त को स्नान करके शरीर को शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद भक्त शांत और स्वच्छ स्थान पर किसी भी आसन पर बैठकर या खड़े होकर स्तोत्र का जाप कर सकते हैं।

मारुती स्तोत्र के जाप से भक्त के सभी भय का निवारण हो जाता है, मन की शांति प्राप्त होती है, शक्ति और साहस में वृद्धि होती है, भक्त की बुद्धि का विकास होता है, सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, तथा हनुमान जी का आशीर्वाद सदा बना रहता है।

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