एक ऐसा गीत या गाना कई सालो से चला आ रहा हैं जिसे कई लोग शायद अपने बचपन से सुनते भी आ रहे होंगे। यह एक ऐसा गीत हैं जो जीवन की एक सिख देता हैं। वह गीत हैं “कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं” काफी साल पहले गया गया ये गीत आज भी लोगो के दिलो में बसा हुआ हैं। और यह गीत जीवन से जुडी कुछ बातो को उजागर करता हैं।
इस गीत में बताया गया हैं अगर किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में किसी की सेवा नहीं करि, प्यासे को पानी नहीं पिलाया और भूखे को कुछ नहीं खिलाया तो बाद में ये सब करना व्यर्थ हैं जब व्यक्ति की मंशा सिर्फ भगवान को खुश करने की हैं।
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कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं लिरिक्स
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं,
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
कभी गिरते हुए को उठाया नहीं,
बाद आँसू बहाने से क्या फ़ायदा ॥
मैं तो मंदिर गया, पूजा आरती की,
पूजा करते हुए यह ख़याल आ गया ।
कभी माँ-बाप की सेवा की ही नहीं,
सिर्फ पूजा के करने से क्या फ़ायदा ॥
मैं तो सतसंग गया, गुरु वाणी सुनी,
गुरु वाणी को सुनकर ख्याल आ गया ।
जनम मानव का ले के दया ना करी,
फिर मानव कहलाने से क्या फ़ायदा ॥
मैंने दान किया, मैंने जप तप किया,
दान करते हुए यह ख्याल आ गया ।
कभी भूखे को भोजन खिलाया नहीं,
दान लाखों का करने से क्या फ़ायदा ॥
गंगा नहाने हरिद्वार काशी गया,
गंगा नहाते ही मन में ख्याल आ गया ।
तन को धोया मगर मन को धोया नहीं,
फिर गंगा नहाने से क्या फ़ायदा ॥
मैंने वेद पढ़े, मैंने शास्त्र पढ़े,
शास्त्र पढ़ते हुए यह ख़याल आ गया ।
मैंने ज्ञान किसी को बाँटा नहीं,
फिर ज्ञानी कहलाने से क्या फ़ायदा ॥
माँ-पिता के ही चरणों में ही चारों धाम हैं,
आजा आजा यही मुक्ति का धाम है ।
पिता-माता की सेवा की ही नहीं,
फिर तीर्थों में जाने का क्या फ़ायदा ॥
Kabhi pyase ko pani pilaya nahin lyrics in English
Kabhi pyase ko paani pilaya nahin,
Baad amrit pilaane se kya faayda.
Kabhi girte hue ko uthaya nahin,
Baad aansu bahaane se kya faayda ॥
Main to mandir gaya, pooja aarti ki,
Pooja karte hue yeh khayal aa gaya.
Kabhi maa-baap ki seva ki hi nahin,
Sirf pooja ke karne se kya faayda ॥
Main to satsang gaya, guru vani suni,
Guru vani ko sunkar khyaal aa gaya.
Janam maanav ka le ke daya na kari,
Phir maanav kehlaane se kya faayda ॥
Maine daan kiya, maine jap tap kiya,
Daan karte hue yeh khyaal aa gaya.
Kabhi bhookhe ko bhojan khilaya nahin,
Daan lakhon ka karne se kya faayda ॥
Ganga nahaane Haridwar Kashi gaya,
Ganga nahaate hi man mein khyaal aa gaya.
Tan ko dhoya magar man ko dhoya nahin,
Phir Ganga nahaane se kya faayda ॥
Maine ved padhe, maine shaastra padhe,
Shaastra padte hue yeh khyaal aa gaya.
Maine gyaan kisi ko baanta nahin,
Phir gyaani kehlaane se kya faayda ॥
Maa-pita ke hi charanon mein hi chaaron dhaam hai,
Aaja aaja yahi mukti ka dhaam hai.
Pita-maata ki seva ki hi nahin,
Phir teerthon mein jaane ka kya faayda ॥