बजरंग बाण (Bajrang Baan lyrics in Hindi) हनुमान जी को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे संत तुलसीदास जी ने रचा था। “बाण” शब्द का अर्थ तीर होता है, और इसे ऐसा नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह भक्तों के जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियों, भय और संकटों पर तीर की तरह प्रहार करता है।
माना जाता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है, भय दूर होता है और व्यक्ति आत्मबल से भर जाता है। इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावी माना जाता है जो किसी गंभीर परेशानी, मानसिक तनाव, बुरी शक्तियों या जीवन की बाधाओं से जूझ रहे हों।
हनुमान भक्ति में बजरंग बाण का बहुत महत्व है क्योंकि यह भक्त और भगवान हनुमान के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करता है। जिस तरह हनुमान चालीसा भक्तों को शांति और सकारात्मक ऊर्जा देती है, उसी प्रकार बजरंग बाण उग्र रूप में भक्तों की रक्षा करता है और उन्हें साहस एवं शक्ति प्रदान करता है।
बजरंग बाण लिरिक्स (Bajrang Baan Lyrics in Hindi)
प्रारंभिक दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥
मुख्य चौपाइयाँ
जय हनुमन्त संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महासुख दीजै ॥
जैसे कूदी सिन्धु महि पारा ।
सुरसा बदन पैठी विस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम-पद लीना ॥
बाग उजारि सिन्धु मह बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय-जय धुनि सुरपुर में भई ॥
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर होई दु:ख करहु निपाता ॥
जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
बीज मंत्र एवं आवाहन
ओम हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥
गदा बज्र लै बैरिहि मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ॥
ओंकार हुंकार महाप्रभु धाओ ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ॥
ओम ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ओम हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा ॥
सत्य होहु हरी शपथ पायके ।
राम दूत धरु मारू जायके ॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥
भक्त की विनती
पूजा जप-तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हो दास तुम्हारा ॥
वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥
पायं परौं कर जोरी मनावौं ।
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥
जय अंजनी कुमार बलवंता ।
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल कुलघालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत प्रेत पिसाच निसाचर।
अगिन वैताल काल मारी मर ॥
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।
राखउ नाथ मरजाद नाम की ॥
जनकसुता हरि दास कहावो ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ॥
चरण शरण कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥
शक्ति आवाहन
उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥
ओम चं चं चं चं चपल चलंता ।
ओम हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ॥
ओम हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ओम सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कोन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करैं प्रान की ॥
यह बजरंग बाण जो जापैं ।
ताते भूत-प्रेत सब कापैं ॥
धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥
समापन दोहा
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ||
बजरंग बाण पाठ की विधि
1. पाठ करने का सही समय
- सुबह का समय – प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) पाठ करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
- मंगलवार और शनिवार – ये दोनों दिन हनुमान जी को विशेष प्रिय हैं, इसलिए बजरंग बाण का पाठ करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
- यदि किसी विशेष संकट या परेशानी से मुक्ति पानी हो तो प्रतिदिन भी पाठ किया जा सकता है।
2. पाठ से पहले और बाद की नियमावली
- पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हनुमान जी की मूर्ति, तस्वीर या किसी भी पवित्र स्थान पर दीपक और धूप जलाएं।
- पहले हनुमान चालीसा अथवा राम का नाम स्मरण करने के बाद बजरंग बाण का पाठ करना श्रेष्ठ होता है।
- पाठ पूरा होने के बाद आरती करें और अंत में भगवान राम का नाम स्मरण अवश्य करें।
- पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और मोबाइल/टीवी जैसी चीज़ों से दूरी बनाएँ।
3. कितनी बार पाठ करना चाहिए?
- सामान्य रूप से एक बार पाठ करना ही पर्याप्त है।
- किसी विशेष संकट, शत्रु बाधा या भय से मुक्ति के लिए इसे तीन बार लगातार पढ़ा जा सकता है।
- बड़े संकट के समय कुछ भक्त इसे 21 दिन तक नियमित पढ़ते हैं, जिससे हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
बजरंग बाण पाठ के लाभ
बजरंग बाण का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भक्त को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करने वाला दिव्य उपाय माना जाता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ करने से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- भय, रोग और बाधाओं से मुक्ति – नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय और शंका दूर होती है। यह रोगों और जीवन की बाधाओं को मिटाने वाला दिव्य कवच माना जाता है।
- आत्मविश्वास और मानसिक शांति – जब व्यक्ति परेशान या निराश होता है, तब बजरंग बाण का पाठ उसे मानसिक मजबूती देता है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और मन को शांति मिलती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से बचाव – धार्मिक मान्यता है कि बजरंग बाण का उच्चारण करने से आसपास की नकारात्मक शक्तियाँ और बुरी ऊर्जा दूर हो जाती है। यह एक सुरक्षात्मक ढाल की तरह कार्य करता है।
- कार्यों में सफलता और आशीर्वाद – कठिन परिस्थितियों और रुकावटों के बीच बजरंग बाण का पाठ करने से कार्य सिद्ध होते हैं। भक्त को हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है और उसके जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि आती है।