शनि ग्रह का प्रभाव हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में शनि ग्रह हमारे कर्मों के फलो से जुड़ा हैं। जीवन में आने वाली समस्या जैसे कोई काम रुक जाना या देरी होना, बाधा या तनाव का कारण शनि का प्रभाव बनता है। लेकिन शनि देव की कृपा और उनके मंत्र का नियमित जाप करने से इन प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में संतुलन और सफलता लाई जा सकती है।

शनि मंत्र का महत्व

शनि मंत्रों का जाप विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या शनि दोष (साढ़ेसाती या ढैय्या) चल रहा है। शनि मंत्र 108 बार पढ़ने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में बाधाएं कम होती हैं तथा मानसिक शांति बढ़ती है।

शनि मंत्र का जाप करने से:

सबसे प्रसिद्ध शनि मंत्र

सबसे प्रभावशाली और आमतौर पर जपे जाने वाले शनि मंत्र हैं:

1. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

यह मंत्र शनि देव की स्तुति और उनके आशीर्वाद के लिए जपा जाता है। इसे 108 बार जपने से व्यक्ति को शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

2. ॐ शनैश्चराय नमः

यह सरल और शक्तिशाली मंत्र है। इसे नियमित रूप से 108 बार जपने से शनि का क्रोध शांत होता है और जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।

शनि मंत्र का जाप 108 बार क्यों किया जाता हैं?

हिंदू परंपरा में किसी भी मंत्र को 108 बार जपना अत्यंत शुभ माना जाता है। 108 की संख्या में:

इस प्रकार 108 बार मंत्र का जाप करने से शनि देव की कृपा का पूरा लाभ मिलता है।

शनि मंत्र जपने की विधि

शनि मंत्र के फायदे

शनि मंत्र 108 बार का नियमित जाप जीवन में बाधाओं को कम करने, सफलता बढ़ाने और मानसिक शांति पाने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। यदि आप शनि दोष या जीवन में किसी भी तरह की कठिनाई से परेशान हैं, तो इसे रोज़ाना जपना अत्यंत लाभकारी साबित होता है।