क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को 'आशुतोष' क्यों कहा जाता है? आशुतोष का अर्थ है वह जो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाएं। और शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे आसान और प्रभावशाली तरीका है रुद्राभिषेक (Rudrabhishek)।
चाहे कुंडली में कालसर्प दोष हो, धन की कमी हो, या स्वास्थ्य खराब रहता हो, रुद्राभिषेक इन सभी समस्याओं का एक 'रामबाण' इलाज है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे रुद्राभिषेक के मंत्र, इसका महत्व और अलग-अलग चीजों (दूध, दही, शहद) से अभिषेक करने के चमत्कारिक फायदे।
1. रुद्राभिषेक क्या है? (What is Rudrabhishek?)
संस्कृत में 'रुद्र' भगवान शिव का ही एक नाम है और 'अभिषेक' का अर्थ है स्नान कराना। यानी, शिवजी के रुद्र रूप का मंत्रों के उच्चारण के साथ स्नान कराना ही रुद्राभिषेक कहलाता है।
इतिहास (History & Legend): पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन (Samudra Manthan) हुआ था, तो उसमें से 'हलाहल' विष निकला। संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने कंठ (गले) में रोक लिया। विष की गर्मी से शिवजी का शरीर जलने लगा। तब देवताओं ने उन पर गंगाजल, दूध और शीतल पदार्थों की वर्षा की ताकि उन्हें ठंडक मिल सके। तभी से शिवजी को अभिषेक अत्यंत प्रिय है।
2. रुद्राभिषेक के मुख्य मंत्र (Rudrabhishek Mantras)
रुद्राभिषेक करते समय शुक्ल यजुर्वेद के 'रुद्राष्टाध्यायी' का पाठ किया जाता है। लेकिन अगर आप सरल विधि से अभिषेक कर रहे हैं, तो नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाएं:
1. पंचाक्षर मंत्र (सबसे सरल):
"ॐ नमः शिवाय"
2. महामृत्युंजय मंत्र (स्वास्थ्य और रक्षा के लिए):
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
3. रुद्र गायत्री मंत्र:
"ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥"
(नोट: अभिषेक करते समय जल की धारा टूटनी नहीं चाहिए और मुख से लगातार मंत्र का जाप होना चाहिए।)
3. अलग-अलग चीजों से अभिषेक के फायदे (Benefits of Different Liquids)
रुद्राभिषेक में आप किस वस्तु (द्रव्य) का उपयोग करते हैं, उसका अलग-अलग फल मिलता है। जानिए आपकी इच्छा अनुसार किससे अभिषेक करना चाहिए:
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जल (Water/Gangajal): मानसिक शांति और ज्वर (Fever) से मुक्ति के लिए।
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गाय का दूध (Cow Milk): लंबी उम्र और सुयोग्य संतान प्राप्ति के लिए।
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गन्ने का रस (Sugarcane Juice): अपार धन-संपत्ति (Wealth) और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए।
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शहद (Honey): पापों के नाश और जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए।
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घी (Ghee): वंश वृद्धि और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए।
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दही (Curd): वाहन सुख और पशु धन प्राप्ति के लिए।
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सरसों का तेल (Mustard Oil): शत्रुओं के नाश और कोर्ट-कचहरी में विजय के लिए।
4. रुद्राभिषेक क्यों करना चाहिए? (Why Perform Rudrabhishek?)
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ग्रह दोष निवारण: अगर आपकी कुंडली में शनि (Shani), राहु या केतु परेशान कर रहे हैं, तो रुद्राभिषेक से बड़ा कोई उपाय नहीं है।
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अकाल मृत्यु का भय: महामृत्युंजय मंत्र के साथ अभिषेक करने से दुर्घटनाओं और अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है।
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इच्छा पूर्ति: शिवपुराण में कहा गया है कि रुद्राभिषेक से कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती।
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वातावरण की शुद्धि: यह पाठ घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Vibes) लाता है और नकारात्मकता को बाहर निकालता है।
5. रुद्राभिषेक कैसे करें? (Step-by-Step Vidhi)
वैसे तो यह अनुष्ठान किसी योग्य पंडित से कराना श्रेष्ठ होता है, लेकिन आप इसे घर पर भी सरल विधि से कर सकते हैं:
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तैयारी: सोमवार, प्रदोष या शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान करें।
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स्थान: घर के मंदिर में उत्तर दिशा (North) की ओर मुख करके बैठें। शिवलिंग को एक थाली में रखें।
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संकल्प: हाथ में जल और फूल लेकर शिवजी से अपनी मनोकामना कहें।
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अभिषेक: 'श्रृंगी' (गाय के सींग से बना पात्र) या लोटे से शिवलिंग पर पतली धारा से जल/दूध चढ़ाना शुरू करें।
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जाप: धारा गिरते समय लगातार "ॐ नमः शिवाय" या "महामृत्युंजय मंत्र" बोलते रहें।
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श्रृंगार: अभिषेक के बाद शिवलिंग को पोंछकर चंदन, भस्म और बेलपत्र (Belpatra) चढ़ाएं।
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आरती: अंत में शिवजी की आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
Rudrabhishek केवल एक कर्मकांड नहीं है, यह भगवान शिव के प्रति समर्पण का भाव है। जब हम शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो हम अपने अहंकार और चिंताओं को भी शिवजी को सौंप देते हैं।
कहा जाता है— "अभिषेक प्रियः शिवः" यानी शिव को अभिषेक सबसे प्रिय है। तो अगली बार जब भी मन अशांत हो, एक लोटा जल लेकर महादेव का अभिषेक करें, आपको शांति अवश्य मिलेगी।