मुख्य गणेश मंत्र
संस्कृत/हिंदी में:
- ॐ गं गणपतये नमः
- ॐ गणेशाय नमः
- वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
- ॐ गजाननाय नमः
- ॐ लंबोदराय नमः
English
- Om Gam Ganapataye Namah
- Om Ganeshaya Namah
- Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha। Nirvighnam Kuru Me Deva Sarvakaryeshu Sarvada॥
- Om Gajananaaya Namah
- Om Lambodaraya Namah
गणेश मंत्र के फायदे (Benefits)
गणेश मंत्र का नियमित जाप करने से कई लाभ मिलते हैं:
मानसिक और आध्यात्मिक लाभ: मन में शांति और एकाग्रता आती है। नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। ध्यान लगाने में सहायता मिलती है।
जीवन में व्यावहारिक लाभ: सभी कार्यों में विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। नए कार्य, व्यवसाय या पढ़ाई की शुरुआत शुभ होती है। निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है।
समृद्धि और सफलता: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लक्ष्य प्राप्ति में सहायता मिलती है। धन और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
गणेश मंत्र क्यों करना चाहिए
गणेश जी को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है। हिंदू परंपरा में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश वंदना से होती है। गणेश जी बुद्धि और विद्या के देवता हैं, इसलिए विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी माने जाते हैं। जीवन में आने वाली बाधाओं और समस्याओं को दूर करने के लिए गणेश जी की उपासना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
गणेश मंत्र कैसे करना चाहिए
सही समय: प्रातःकाल (सूर्योदय के समय) सबसे शुभ माना जाता है। संध्याकाल में भी जाप कर सकते हैं। बुधवार और गणेश चतुर्थी विशेष शुभ दिन हैं।
विधि: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। लाल फूल, दूर्वा (घास), और मोदक का भोग लगाएं। शांत मन से एकाग्रचित्त होकर मंत्र का जाप करें।
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संख्या: मंत्र का जाप 108 बार करना शुभ माना जाता है। इसके लिए माला (रुद्राक्ष या तुलसी की माला) का उपयोग कर सकते हैं। शुरुआत में कम संख्या से भी शुरू कर सकते हैं।
नियम: नियमित रूप से प्रतिदिन जाप करें। जाप के समय मन को शांत और सकारात्मक रखें। मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध हो।
गणेश मंत्र का इतिहास
गणेश जी की पूजा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं में कई कहानियां हैं कि कैसे गणेश जी को हाथी का मस्तक प्राप्त हुआ और वे प्रथम पूज्य बने।
वेदों और पुराणों में उल्लेख: ऋग्वेद में गणपति का उल्लेख मिलता है। गणेश पुराण और मुद्गल पुराण में गणेश जी की विस्तृत महिमा का वर्णन है। अथर्ववेद में भी गणेश स्तुति मिलती है।
प्रथम पूज्य बनने की कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं में यह विवाद हुआ कि सबसे पहले किसकी पूजा की जाए। तब भगवान शिव ने परीक्षा ली और गणेश जी अपनी बुद्धि से विजयी हुए। तभी से उन्हें "प्रथम पूज्य" का स्थान मिला।
मंत्रों का विकास: गणेश मंत्रों का उल्लेख गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश उपनिषद जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। "ॐ गं गणपतये नमः" बीज मंत्र सबसे प्राचीन और शक्तिशाली माना जाता है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में गणेश जी की पूजा अलग-अलग रूपों में होती है, लेकिन मूल मंत्र और उनका महत्व सभी जगह समान है।