तारक मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का उल्लेख वैदिक साहित्य में मिलता है। यह मंत्र यजुर्वेद के श्री रुद्रम में प्रमुखता से आता है, जो भगवान शिव की स्तुति में रचा गया है।
शिव पुराण और स्कन्द पुराण में इस मंत्र की महिमा विस्तार से बताई गई है। इसे पंचाक्षरी मंत्र (पांच अक्षरों वाला मंत्र) भी कहा जाता है।
प्राचीन काल से ही संत, योगी और साधक इस मंत्र का जाप करते आए हैं। काशी (वाराणसी) में मरने वाले व्यक्ति के कान में भगवान शिव यह तारक मंत्र देते हैं, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है - ऐसी मान्यता है।
दक्षिण भारत में शैव परंपरा में भी इस मंत्र का विशेष महत्व है। नयनार संतों ने भी अपनी भक्ति में इस मंत्र को केंद्रीय स्थान दिया।
तारक मंत्र (Tarak Mantra)
मंत्र (Mantra)
ॐ नमः शिवाय
तारक मंत्र के फायदे (Tarak Mantra ke Fayde)
तारक मंत्र, जिसे पंचाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है, के अनेक लाभ हैं:
आध्यात्मिक लाभ: यह मंत्र मन को शांति प्रदान करता है और आत्मिक उन्नति में सहायक होता है। इसके जाप से मन की चंचलता दूर होती है और एकाग्रता बढ़ती है।
मानसिक स्वास्थ्य: नियमित जाप से तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। यह मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
मोक्ष का मार्ग: माना जाता है कि यह मंत्र जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसे तारक (तारने वाला) इसीलिए कहा जाता है।
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शारीरिक लाभ: ध्यान के साथ इस मंत्र के जाप से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
कब करना चाहिए (Kab Karna Chahiye)
सुबह का समय: ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) या सूर्योदय के समय मंत्र जाप सबसे उत्तम माना जाता है।
संध्या काल: शाम के समय भी इस मंत्र का जाप किया जा सकता है।
शिवरात्रि और सोमवार: ये दिन भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष माने जाते हैं।
कभी भी: वैसे इस मंत्र का जाप दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र धारण करके शांत मन से जाप करना अधिक फलदायी होता है।
क्यों करना चाहिए (Kyu Karna Chahiye)
तारक मंत्र को "महामंत्र" माना जाता है क्योंकि यह सीधे भगवान शिव को समर्पित है, जो संहार और पुनर्निर्माण के देवता हैं। इसके जाप से व्यक्ति अपने भीतर की नकारात्मकता का संहार करके नई सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण कर सकता है।
यह मंत्र पांच तत्वों का प्रतीक है: न (पृथ्वी), म (जल), शि (अग्नि), वा (वायु), य (आकाश)। इस प्रकार यह संपूर्ण सृष्टि के साथ जुड़ाव स्थापित करता है।