हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को परम देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान विष्णु के पास उनका एक अस्त्र है जिसे सुदर्शन चक्र कहते हैं। सुदर्शन कवच भगवान विष्णु की शक्तियों का आहान करता है। सुदर्शन कवच के जाप से व्यक्ति के शरीर में आध्यात्मिक विकास होता है और मन को शांति मिलती है। इस कवच मंत्र का जब हर कोई कर सकता है।

इस कवच में भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की स्तुति की गयी हैं जिसमे चक्र की शक्तियों के बारे में बताया गया हैं साथ ही चक्र की गति और रक्षा करने की क्षमता के बारे में भी बताया गया हैं।

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सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach)

ॐ अस्य श्री सुदर्शन कवच माला मंत्रस्य
श्री लक्ष्मी नृसिंह: परमात्मा देवता क्षां बीजं ह्रीं शक्ति मम कार्य सिध्यर्थे जपे विनियोग:।

हृदयादि न्यास:

ध्यान:

उपसमाहे नृसिंह आख्यम ब्रह्म वेदांत गोचरम / भूयो-लालित संसाराच्चेद हेतुं जगत गुरुम पंचोपचार पूजनम्:

ॐ सुदर्शने नम:

ॐ आं ह्रीं क्रों नमो भगवते प्रलय काल महा ज्वाला घोर वीर सुदर्शन नृसिंहाय।
ॐ महा चक्र राजाय महा बले सहस्रकोटि सूर्यप्रकाशाय।
सहस्रशीर्षाय सहस्रअक्षाय सहस्रपादाय संकर्षणात्मने।
सहस्र दिव्याश्र सहस्र हस्ताय सर्वतोमुख ज्वलन ज्वाला माला वृताय।
विस्फुलिंग स्फोट परिस्फोटित ब्रह्माण्ड भण्डाय महा पराक्रमाय महोग्र विग्रहाय महावीराय।
महा विष्णु रूपिणे व्यतीत कालान्त काय महाभद्र रोद्रा वताराय।
मृत्यु स्वरूपाय किरीट-हार-केयूर-ग्रेवेयक-कटक अंगुलीयक-कटिसूत्र मजीरादी कनक मणि खचित दिव्य भूषणाय।
महा भीषणाय महा भिक्षया व्याहत तेजो रूप निधेय।
रक्त चंडांतक मण्डित दोरुकुण्ड दूर निरिक्षणाय प्रत्यक्षाय ब्रह्म चक्र विष्णु चक्र काल चक्र भूमि चक्र तेजोरूपाय आश्रित रक्षाय।

ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।
इति स्वाहा स्वाहा।

ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।
भो भो सुदर्शन नारसिंह माम रक्षय रक्षय।

ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।
मम शत्रून नाशय नाशय।

ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।
ज्वल ज्वल, प्रज्वल प्रज्वल, चंड चंड, प्रचंड प्रचंड, स्फुर प्रस्फुर, घोर घोर घोरतर घोरतर, चट चट, प्रचट प्रचट, प्रस्फुट दह कहर भग भिन्धि हंधी खट्ट प्रचट फट।

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जहि जहि, प्रलय वा पुरुषाय, रं रं नेत्राग्नी रूपाय।
ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।

एही एही आगच्छ, भूतग्रह-प्रेतग्रह-पिशाचग्रह-दानवग्रह-कृत्रिमग्रह प्रयोगग्रह आवेशग्रह।
अनागतग्रह ब्रह्मग्रह रुद्रग्रह पतालग्रह निराकारग्रह आचार-अनाचार ग्रह भूचर ग्रह खेचर ग्रह वृक्ष ग्रह पिक्षी चर ग्रह गिरी चर ग्रह श्मशान चर ग्रह।

जलचर ग्रह कूप चर ग्रह देगाचरग्रह शून्यगार चर ग्रह स्वप्नग्रह दिवामनो ग्रह बालग्रह मूकग्रह मुख ग्रह बधिर ग्रह स्त्री ग्रह पुरुष ग्रह यक्ष ग्रह राक्षस ग्रह प्रेत ग्रह किन्नर ग्रह साध्य चर ग्रह सिद्ध चर ग्रह कामिनी ग्रह मोहनी ग्रह पद्मिनी ग्रह।

यक्षिणी ग्रह पकषिणी ग्रह संध्या ग्रह उच्चाटय उच्चाटय भस्मी कुरु कुरु।
ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।

भ्रामय भ्रामय, महा नारायण अस्त्राय पंचाशधरन रूपाय।
ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।

भो भो सुदर्शन नारसिंह माम रक्षय रक्षय।
ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात।

मम सर्वारिष्ट शान्तिं कुरु कुरु।
सर्वतो रक्ष रक्ष।

ॐ ह्रीं हूँ फट स्वाहा।
ॐ क्ष्रोम ह्रीं श्रीं सहस्रार हूँ फट स्वाहा।

सुदर्शन कवच के लाभ

सुदर्शन कवच का जाप कैसे करें?

Sudarshan Kavach PDF

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