“हर भक्त के दिल में बसते हैं अंजनी के लाल…” — ये पंक्तियाँ हनुमान जी की उस अनूठी उपस्थिति को बयाँ करती हैं, जो सिर्फ मंदिरों तक ही सीमित नहीं, बल्कि हमारे दिलों-ज़ेहन में बसती है। जब भी संकट आता है, सबसे पहला नाम जो ज़ुबां पर आता है, वो है “हनुमान”। और इस विशेष दिन — हनुमान जयंती — हम उसी अंजनीपुत्र की जय–जयकार करते हैं, उनकी महिमा का गुणगान करते हैं और भक्ति में डूब जाते हैं।
हनुमान जयंती का महत्व केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि उस अटूट विश्वास और शक्ति का प्रतीक है, जो हमें बताती है — चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न हो, भक्ति और समर्पण की शक्ति से हम सब संघर्षों पर विजय पा सकते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भक्ति, सेवा और आत्मसमर्पण के मार्ग पर चलने वालों को हमेशा साहस मिलता है।
इस पर्व को लेकर लोगों में एक गर्मजोशी और उल्लास बना रहता है। शहरों-गाँवों में मंदिरों की कतारें लग जाती हैं, भक्त सज-धजकर बाहर निकलते हैं, और घरों में पॉडकास्ट, भजन–कीर्तन, कथा वाचन का आयोजन होता है। हर चौराहे पर जय श्रीराम-जय बजरंगबली के नारों का संचार होता है।
जब ये दिन करीब आता है, हर दिल में उत्साह की एक हल्की धड़कन होती है — कि आज हम अपने प्रिय हनुमान जी की आराधना करेंगे, उनकी महिमा सुनेंगे, उनके नाम में लीन होंगे। यह पर्व सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि हमारी आस्था, श्रद्धा और आत्मा का उत्सव है।
Hanuman Jayanti 2026 Date, Tithi & Muhurat
हनुमान जी की जयंती हर साल चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन भक्तों के लिए अटूट श्रद्धा, भक्ति और शक्ति का प्रतीक होता है। 2026 में हनुमान जयंती गुरुवार, 2 अप्रैल 2026 को मनाई जाएगी। इस दिन पूरे भारत में हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा, भजन, पाठ और सुंदरकांड का आयोजन होगा।
तिथि और मुहूर्त
2026 में पूर्णिमा तिथि का आरंभ 1 अप्रैल 2026 को सुबह 07:08 बजे से होगा और यह तिथि 2 अप्रैल 2026 की सुबह 07:44 बजे तक रहेगी। इसलिए मुख्य पूजा और व्रत 2 अप्रैल को ही मनाया जाएगा, क्योंकि इस दिन सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि प्रभावी रहेगी।
भक्त इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके भगवान श्रीराम के प्रिय भक्त, हनुमान जी की पूजा करते हैं। इस दिन “हनुमान चालीसा”, “सुंदरकांड पाठ”, “बजरंग बाण” और “रामायण पाठ” का विशेष महत्व होता है।
मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति पर चोला चढ़ाया जाता है, सिंदूर, चमेली का तेल और तुलसी पत्र से पूजा की जाती है।
पंचांग विवरण
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तिथि: चैत्र पूर्णिमा
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वार: गुरुवार
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पक्ष: शुक्ल पक्ष
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नक्षत्र: चित्रा नक्षत्र
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योग: शुभ योग
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पूजा का श्रेष्ठ समय: सूर्योदय से पूर्व और प्रातःकाल का समय सबसे उत्तम माना गया है।
इस दिन व्रत रखने वाले भक्त एक दिन पहले यानी चैत्र चतुर्दशी से ही सात्त्विक भोजन करते हैं और अगले दिन पूर्णिमा को व्रत रखते हैं। पूजा के बाद प्रसाद और भोग लगाकर व्रत का समापन किया जाता है।
हनुमान जयंती का इतिहास और उत्पत्ति
हनुमान जी को श्रीराम के अटल भक्त और वानर सेना के महान योद्धा के रूप में जाना जाता है। उनकी शक्ति, भक्ति और वीरता की कहानियाँ आज भी हर भक्त के मन में विश्वास और श्रद्धा जगाती हैं। हनुमान जयंती का त्योहार उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे भक्ति, साहस और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
हनुमान जी के जन्म की कथा
हिंदू पुराणों के अनुसार, अंजनी माता और वानरराज केसरी ने अपने संतान की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उनका पुत्र अत्यंत शक्तिशाली, बुद्धिमान और अजर-अमर होगा। इसी वरदान के अनुसार, भगवान शिव का रुद्रांश अंजनी माता के गर्भ में समा गया और हनुमान जी का जन्म हुआ।
बचपन और शिक्षा
हनुमान जी का बचपन अद्भुत घटनाओं से भरा था। उनके बचपन में ही उनकी ताकत और बुद्धि की झलक दिखाई दी। एक प्रसंग प्रसिद्ध है कि उन्होंने सूर्य को फल समझकर खा लेने का प्रयास किया। इसके अलावा, वे ग्रह और वेदों के ज्ञाता भी थे। सूर्य देव से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की, जिससे उनकी विद्या और ज्ञान असीम हो गया। बचपन से ही उनका चरित्र और साहस अद्वितीय था।
हनुमान जी के अजर-अमर होने का रहस्य
हनुमान जी को “अजर-अमर” माना जाता है क्योंकि भगवान राम की भक्ति के कारण उन्हें मृत्यु का भय कभी नहीं लगा। उनके लिए काल का कोई प्रभाव नहीं है। वे आज भी पृथ्वी पर अपने भक्तों की रक्षा और सेवा में उपस्थित हैं।
हनुमान जयंती मनाने की परंपरा
हनुमान जयंती मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। माना जाता है कि मध्यकाल से भक्तजन चैत्र मास की पूर्णिमा को उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाने लगे। इस दिन विशेष पूजा, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड पाठ और भजन कीर्तन का आयोजन होता है। समय के साथ, यह पर्व पूरे भारत और विदेशों में श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाने लगा।
हनुमान जयंती कैसे मनाई जाती है
हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भक्तों के लिए भक्ति, शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है। पूरे भारत में इसे भिन्न-भिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। हर राज्य में इस दिन की खासियत और उत्सव का ढंग अलग होता है, लेकिन लक्ष्य एक ही है — हनुमान जी की महिमा का गुणगान करना और उनकी कृपा प्राप्त करना।
उत्तर भारत में हनुमान जयंती मुख्य रूप से चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन सुबह-सुबह भक्त स्नान कर पूजा स्थल पर जाते हैं और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र पर सिंदूर, चमेली का तेल और तुलसी के पत्ते चढ़ाते हैं। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में इसे मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या या अन्य स्थानीय तिथियों पर मनाया जाता है। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में हनुमान जी के मंदिरों में विशेष भजन संध्या और अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है।
पूजा और पाठ का महत्व
भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करते हैं। सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में इनका पाठ करने से हनुमान जी की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। सुंदरकांड पाठ का विशेष महत्व है क्योंकि इसमें भगवान हनुमान की वीरता, बुद्धि और रामभक्ति का वर्णन मिलता है। हनुमान चालीसा का जाप करने से भय, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है।
हनुमान जयंती पर भक्त व्रत रखते हैं और एक दिन पहले ही सात्त्विक भोजन शुरू कर देते हैं। पूजा के दौरान हनुमान जी को गुड़, बेसन की लड्डू, फल और शहद का भोग चढ़ाया जाता है। व्रत के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है, जिससे घर और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
मंदिरों में शोभा यात्रा, अखंड रामायण पाठ और भजन संध्या का आयोजन होता है। कई मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं और श्रद्धालु हनुमान जी के चरणों में फूल, दीप और नारियल अर्पित करते हैं। शाम को भजन संध्या और आरती से पूरा मंदिर भक्तिमय वातावरण में बदल जाता है।
हनुमान जी के शक्तिशाली मंत्र
हनुमान जी की भक्ति का सबसे बड़ा माध्यम उनके मंत्र हैं। ये मंत्र न केवल मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन में संकट और भय से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होते हैं। हनुमान जयंती या किसी भी दिन इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भगवान हनुमान की कृपा बनी रहती है।
1. ॐ हनुमते नमः
यह मंत्र हनुमान जी की शक्ति, साहस और भक्ति को सम्मानित करता है। इसका अर्थ है: “हे हनुमान, मैं आपकी भक्ति और शक्ति को नमन करता हूँ।”
लाभ:
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भय और तनाव से मुक्ति
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मानसिक शक्ति और साहस की वृद्धि
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घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
2. ॐ श्री वज्रदेहाय रामभक्ताय नमः
यह मंत्र हनुमान जी को उनके स्वरूप और रामभक्ति के लिए समर्पित करता है। इसका अर्थ है: “हे हनुमान, जो राम के परम भक्त हैं, मैं आपकी भक्ति को नमन करता हूँ।”
लाभ:
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कठिन कार्यों में सफलता
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साहस और बुद्धिमत्ता का विकास
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भक्त के जीवन में संकटों का निवारण
हनुमान चालीसा का प्रभाव
हनुमान चालीसा का जाप सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसे पढ़ने से मानसिक शक्ति, स्वास्थ्य और जीवन में स्थिरता आती है। प्रत्येक चौपाई हनुमान जी की वीरता, भक्ति और ज्ञान का वर्णन करती है। हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
108 बार जप करने का महत्व
हनुमान मंत्र का 108 बार जाप करना बेहद शुभ माना जाता है। 108 एक पवित्र संख्या है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और ब्रह्मांड के संतुलन का प्रतीक है। 108 बार मंत्र जप करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और हनुमान जी की कृपा अत्यधिक प्राप्त होती है।
कब और कैसे जप करें
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समय: सुबह के ब्रह्म मुहूर्त या सांझ के समय सबसे उत्तम माना गया है।
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दिशा: दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करना शुभ होता है।
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नियम: साफ-सुथरे स्थान पर बैठकर, थोड़ी देर ध्यान केंद्रित करके मंत्र का जाप करें। अगर माला का उपयोग करें तो प्रत्येक माला के साथ 108 बार जाप पूर्ण करना आसान होता है।
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भाव: मंत्र का जाप मन, शब्द और ह्रदय में पूर्ण श्रद्धा के साथ करें।
हनुमान मंत्र का नियमित जाप न केवल संकट और भय से मुक्ति दिलाता है, बल्कि भक्त के जीवन में साहस, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। इन मंत्रों के माध्यम से हनुमान जी की असीम कृपा हर भक्त पर बनी रहती है।